शर्मसार ! किसान ने कहा 3 दिन से बिजली नहीं आ रही, अधिकारी बोले लगा लो फांसी…

महाराष्ट्र में एक जिला है. बुलढाणा. तीन दिन से यहां बिजली नहीं आ रही थी, तो एक किसान ने राज्य बिजली विभाग के अधिकारी को कॉल किया. अधिकारी ने उसकी समस्या का समाधान करने के बजाए, फोन पर ही गाली देनी शुरू कर दी.

 

 

किसान

बतादें की अब इसी बात को किसान ने रिकॉर्ड कर ली और विधायक को सौंप दी. विधायक संजय ने इस ऑडियो को मुंबई विधानसभा अधिवेशन में पेश किया. इसके बाद ऑडियो वायरल होने लगा.

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जानिए विधानसभा बैठक में क्या हुआ-

खबरों के मुताबिक मेहकर एक निर्वाचन क्षेत्र है. वहीं के शिवसेना विधायक हैं संजय रायेमुलकर. इन्होंने किसान और बिजली अधिकारी की बातचीत का ऑडियो विधानसभा अधिवेशन में पेश किया. उन्होंने उस जूनियर इंजीनियर को बर्खास्त करने और कार्रवाई करने की मांग की हैं.

विधायक संजय ने विधानसभा में कहा :

मैं आपके निदर्शन में एक बात लाना चाहता हूं, मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक खंदारकर नामक किसान ने तीन दिन से बिजली न होने पर मालोकार नामक जूनियर इंजीनियर को फोन किया.

जहां उस पर इंजीनियर ने उसे गलियां दी और ‘तू मर फांसी ले’, ‘किसान मर गए तो मुझे कुछ लेना-देना नही’, ‘सामने आ तेरे कान के नीचे मारता’ इस तरह की असभ्य भाषा का इस्तेमाल इंजीनियर ने किया. मेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता, जो  है ले. 

मेरे पास वह क्लिप है, अगर आप इजाज़त दे तो मैं आपको सुनता हूं. इसने अश्लील भाषा का इस्तेमाल कर किसानों का अपमान किया है. मेरी आपसे मांग है कि उसे तुरंत नौकरी से सस्पेंड या डिसमिस किया जाए.

धनंजय खंदारकर, जो किसान हैं. उन्होंने बताया हैं की –

पिछले 3 दिनों से हमारे यहां लाइन नही है, वायरमैन को रात में फोन किया क्योंकि दिन में लाइन की उतनी ज़रूरत नही रहती. इसलिए उसे रात में फोन पर बताया कि आधे गांव की लाइन है और आधे गांव की नहीं है.

जहां इस पर वायरमैन ने कहा कि मैं अभी लाइन शुरू नहीं कर सकता. मैन उसके बाद वरिष्ठ अधिकारी जूनियर इंजीनियर मालोकार को 8 बजे के करीब फोन किया, उन्होंने मेरे साथ अश्लील भाषा का उपयोग करते हुए मुझे फांसी लेने को कहा, मैंने बातचीत की रिकॉर्डिंग हमारे विधायक को भेज दी.

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. यही कहावत हो गई. मतलब एक तरफ सरकार गांव में बिजली और पानी पहुंचाने का वादा करते हैं. दूसरी तरफ अधिकारी किसान को फांसी लगाने के लिए ही कह देते हैं. वो ये बताना जरूरी नहीं समझते हैं कि, ‘बिजली कटने का कारण क्या है’ और न ही बताते हैं कि, ‘बिजली कब तक आएगी’ उल्टा किसान को ही डांट-फटकार रहे हैं.\

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