सफर के दौरान खाने के शौकीन हैं तो जान लें भारतीय रेलवे का ये सच, नहीं तो लुट जाएगा सब कुछ
नई दिल्ली। मोदी सरकार के आने से रेलवे की हालत सुधरी है यह मीडिया रिपोर्ट्स है लेकिन जमीनी हालात क्या हैं वो तो सिर्फ वही बयां कर सकता है जो रेल में सफ़र करे। ऐसे ही हालात के बारे में एक यात्री ने रेलवे की पैंट्री कारों में घोटाले का खुलासा किया है।
प्रतप्त दास नाम के शख्स ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी शिवेंद्र कुमार सिन्हा के हवाले से विशाखापट्टनम से हावड़ा तक के सफर के दौरान सामने आए फर्जीवाड़े का जिक्र किया है प्रतप्त ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि पैंट्री कार के लोगों ने 50 रुपये के खाने के 90 रुपये वसूले गये जबकि नॉन वेज खाने के 55 रुपये के बजाय 100 रुपये.।
पोस्ट के अनुसार मैंने पिछले सप्ताह यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से विशाखापट्टनम से हावड़ा तक का सफर किया। पैंट्री कार से वेज खाने का ऑर्डर दिया तो वेटर ने मुझे इसकी कीमत 90 रुपये बताई मुझे हमेशा लगता था कि ये लोग खाने के ज्यादा पैसे चार्ज करते थे लेकिन कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया लेकिन इस बार मैंने पता करने का फैसला किया।
शिवेंद्र के अनुसार जब मैंने रेटकार्ड देखा तो मेरे होश उड़ गए इसके बाद मैंने वेटर को 50 रुपये दिए तो उसने लेने से मना कर दिया और 90 रुपये मांगे जिसपर आपत्ति जताते हुए मैंने उसे रेट कार्ड दिखाया तो उसने 50 रुपये ले लिए लेकिन किसी और को इस बारे में बताने से मना भी कर दिया।
अपनी पोस्ट में आगे लिखते हुए उन्होंने बताया कि इस घटना से मैं काफी गुस्से में था और पहले से लेकर 13वें कोच तक गया रास्ते में सबको बताया कि रेट को लेकर ये लोग गड़बड़ी कर रहे है. पैंट्री कार में इंचार्ज से मुलाकात की और इस बारे में पूछा, तो उसने भी वही कहानी सुनाई और जब मैंने उससे रेटकार्ड दिल्हने के लिए कहा तो उसने कहा कि रेट कार्ड नहीं है जल्द ही मिल जाएगा।
शिकायत दर्ज करने के बाद इंचार्ज ने रजिस्टर में उल्टे उन पर ही हर बार शिकायत करने की टिप्पणी लिख दी और लिखा कि प्रत्येक यात्री से 50 रुपये ही लिए गए थे।
सिन्हा ने पैंट्रीकार के इस घोटाले का जब आंकलन किया तो उन्होंने पाया की हर रोज 2.50 करोड़ भारतीय रेलवे में सफर करते हैं यदि केवल 0.5 प्रतिशत भी पैंट्री कार से खाना लेते हैं तो हर प्लेट पर 30 रुपये ज्यादा देने से घोटाला करने वाले लोग 3.75 करोड़ रुपये कमाते हैं।