एक साथ लगा राहुल, स्वामी और केजरीवाल को झटका
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि कानून संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि आपराधिक मानहानि कानून असंवैधानिक नहीं है और यह कानून बना रहेगा।
मानहानि कानून पर याचिका खारिज
दरअसल, आईपीसी की धारा-499 व 500 को बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी, दिल्ली सीएम और ‘आप’ के मुखिया अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनौती दी थी, जिनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ताओं की इस कानून को लेकर दलील थी कि आईपीसी का उक्त प्रावधान संविधान से मिले अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है। इसका दोषी होने पर दो साल की सजा का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा इसका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से टकराव नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल. सी. पंत की पीठ ने मुख्य रूप से आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 499 और 500 को बरकरार रखते हुए कहा कि मानहानि का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई भयावह प्रभाव नहीं पड़ता है।
इस मामले में याचिकाकर्ता अरविंद केजरीवाल की तरफ से दलील दी गई कि उक्त प्रावधान को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि यह औपनिवेशिक कानून है और इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। यह कानून एक तरह से बोलने की आजादी के अधिकार का हनन कर रहा है इसलिए अब इसे खत्म करने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा, “गायकमंडली में मौजूद सभी लोगों के लिए जरूरी नहीं है कि वे एक ही गीत गाएं।”
साथ ही उन्होंने कहा कि एक मजिस्ट्रेट को आपराधिक मानहानि का मुकदमा शुरू करने की तर्क पर समन जारी करते हुए अत्याधिक सतर्क रहना चाहिए।