इरडा का कहना है कि स्वास्थ्य बीमा के किसी मामले में बीमा कंपनियां अगर किसी व्यक्ति के दावे को खारिज करती हैं तो उन्हें बीमा करने वाले व्यक्तियों को कारण बताना होगा। कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी दावे को सिर्फ ‘पूर्व धारणा या अनुमान’ के आधार पर खत्म नहीं करना चाहिए। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सर्कुलर ‘स्वास्थ्य बीमा दावा निपटान’ में बीमा कंपनियों से स्वास्थ्य बीमा दावों के निपटान की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता बरतने को कहा है।

और उसने कहा की सभी बीमा कंपनियों के लिए ऐसी प्रक्रिया करना अनिवार्य है। जिनके जरिए बीमा कराने वाले व्यक्ति को दावा करने के विभिन्न चरणों के बारे में सूचनाएं आसानी तरीके से मिल जाए। बीमा कंपनियों को ऐसी व्यवस्था को और विकसित करने की जरुरत है, जिससे बीमाधारक को कैशलेस इलाज/बीमा कंपनी/टीपीए के पास वेबसाइट/पोर्टल/एप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दायर दावों की स्थिति के बारे में जानकारी आसानी से मिल जाए। आवेदन के समय से लेकर दावों के निपटाने के समय तक की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
अगर बीमा कंपनी की ओर से कोई टीपीए दावों का निपटान करता है तो सभी सूचनाओं की जानकारी बीमा कराने वाले को देना होगा। यह सर्कुलर जीवन बीमा, साधारण बीमा, एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों और टीपीए को लाया गया है।