
नई दिल्ली। एक और जहां सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पारिवारिक कलह का शिकार बनी हुई है वही प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए अब प्रियंका गांधी ने भी कमर कस ली है। ऐसा पहली बार हुआ जब किसी बैठक का प्रियंका गांधी हिस्सा बनीं। यह बैठक कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद द्वारा बुलाई गयी थी। इस बैठक में प्रियंका गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित और प्रचार प्रमुख संजय सिंह समेत प्रदेश के कई नेताओं से बातचीत की।
प्रियंका गांधी ने बैठ में लिया भाग
पार्टी प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के नेताओं की ऐसी बैठक में भाग लिया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में चुनाव होने हैं। इस बैठक में कुछ प्रदेश नेताओं ने आरएलडी और पीस पार्टी जैसे छोटे दलों के साथ गठजोड़ करने का सुझाव दिया। कुछ नेताओं ने समर्थन जुटाने के लिए यात्राएं निकालने की बजाए प्रखंड स्तर पर बैठकें करने की वकालत की।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की यात्रा कर रहे राहुल गांधी की संदेश यात्राओं के प्रभाव पर भी चर्चा हुई। वैसे पार्टी की ब्रीफिंग में सिंह इन सवालों को टाल गए कि प्रियंका गांधी अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्रों के बाहर भी चुनाव प्रचार करेंगी या नहीं। पिछले विधानसभा चुनावों में उन्होंने खुद को इन क्षेत्रों तक ही सीमित रखा था। सिंह का इन सवालों पर कहना था, ‘यदि हम फैसला उन पर ही छोड़ दें तो बेहतर होगा।’ जब उनसे पूछा गया कि खुद को लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में पेश करने वाली कांग्रेस ऐसे निर्णय परिवार पर क्यों छोड़ती है, तब भी उनका कुछ ऐसा ही जवाब था।
उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता पुरजोर मांग करते रहे हैं कि प्रियंका राज्य में पार्टी संगठन में जान फूंकने के लिए चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभाएं। राज्य में कांग्रेस 27 साल से सत्ता से बाहर है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को मोदी लहर में महज दो सीटें- अमेठी और रायबरेली मिल पाई थीं। मोदी लहर में बीजेपी ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर कब्जा किया था। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 403 में से महज 28 सीट ही जीत पाई थी।