
आज के समय में देश में इतना ज्यादा प्रदुषण फ़ैल गया हैं की लोग हो या जानवर सब को सांस लेने में मुश्किल हो रही हैं। वहीं देखा जाए तो सरकार प्रदुषण को रोकने के लिए अनेक कार्य कर रही हैं।
खबरों के मुताबिक इन दिनों उत्तर भारत खासकर दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों के लोग भारी प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सरकार ने लोगों को खुले में ज्यादा देर तक घूमने से परहेज करने के निर्देश दिए हैं।
जहां इसके अलावा प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह भी दी गई है। प्रदूषण का आलम यह है कि यह दिल्ली से शुरू होकर पूरे उत्तर भारत में फैल गया है। इस प्रदूषण का सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन हाल ही में आई खबर के अनुसार अब लोग अपने साथ-साथ भगवान के भी सेहत की चिंता करने लगे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी वायु प्रदूषण चरम सीमा पर पहुंच चुका है, जिससे लोग काफी परेशान हैं। खुले में सांस लेना खतरे से खेलने के बराबर साबित हो रहा है।
देखा जाए तो वाराणसी में लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन यहां दिलचस्प बात यह है कि इंसानों के साथ-साथ भगवानों की प्रतिमाओं को भी मास्क पहना दिए गए हैं। वाराणसी के सिगरा में काशी विद्यापीठ विद्यालय के नजदीक स्थित भगवान शिव-पर्वती के मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को यहां के पुजारी और कुछ भक्तों ने मास्क पहना दिया है।
समाजवादी पार्टी के पूर्व पार्षद रविशंकर विश्वकर्मा ने भी शहर के मिसिर पोखरा स्थित तारकेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग को मास्क पहना दिया। ऐसा करके उन्होंने बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले पर सरकार को घेरा और इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए शिवलिंग सिर्फ एक मूर्ति मात्र नहीं है, हम बाबा शिव को सजीव मानते हैं। इसलिए उन्हें मास्क पहनाया है। इस स्थिति के लिए उन्होंने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी आलोचना की।
दरअसल वाराणसी में सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 354 से 364 के मुकाबले मंगलवार को एक्यूआई 292 दर्ज किया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक 200 से ज्यादा एक्यूआई इंसानों के लिए काफी खतरनाक होता है। बता दें कि दिवाली के बाद से ही पूरे उत्तर भारत का हाल बेहाल हो गया है और स्थिति को सुधारने में सरकार व जनता दोनों ही असमर्थ नजर आ रहे हैं।