पशुपालन क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी किसान विरोधी

पशुपालन भोपाल| केंद्र सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण और पशुपालन क्षेत्र में सौ फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दिए जाने पर भारतीय किसान संघ (भकियू) की मध्य प्रदेश इकाई ने विरोध दर्ज कराते हुए इसे किसान विरोधी करार दिया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।

पशुपालन क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश मंजूर नहीं

भारतीय किसान संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवकांत दीक्षित ने एक बयान में कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय हैरान करने वाला है, क्योंकि विपक्ष में रहते हुए भाजपा एवं सहयोगी दलों ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की इस नीति (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का जमकर विरोध किया था। अजीब बात है कि सत्ता में आने के बाद वह संप्रग सरकार की नीतियों का अनुसरण कर रही है। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है।

दीक्षित ने कहा कि पशुपालन, मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से यहां के किसान एवं मजदूरों का शोषण ही होगा। देश के किसानों को विदेशियों के साथ प्रतिस्पर्धा में टिकना असंभव होगा। फलस्वरूप भारतीय किसान विदेशियों की नौकरी करने को बाध्य होंगे।

उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश के माध्यम से रोजगार बढ़ने की संभावनाएं कभी न तो अतीत में ही पूरी हुई है और न ही अब होने वाली है। इससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। इतना ही नहीं, विदेशी निवेश जितनी मात्रा में आता है, उससे अधिक धन देश के बाहर चला जाता है।

भारतीय किसान संघ का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उसकी किसान हितैषी छवि धूमिल होगी। संघ ने प्रधानमंत्री से खाद्य प्रसंस्करण एवं पशुपालन क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निर्णय तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है।

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