दिल्ली : बिना ड्राइवर की चलेगी दिल्ली मेट्रो,जानिए कितनी हैं सुरक्षित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को दिखायी हरी झंडी. देश की पहली बिना ड्राइवर की ये मेट्रो 38 किलोमीटर लंबी मैजेंटा लाइन पर चलेगी. 390 किलोमीटर में फैला दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क दिल्ली समेत आसपास के नोएडा, गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, ग़ाज़ियाबाद जैसे शहरों को जोड़ता है.दिल्ली मेट्रो देश की सबसे बड़ी मेट्रो सेवा है. पहली बार इसका परिचालन 24 दिसंबर, 2002 को शाहदरा और तीस हज़ारी स्टेशनों के बीच 8.4 किलोमीटर मार्ग पर हुआ था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन के बाद भाषण के दौरान कहा कि उन्हें 3 साल पहले मेजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था और आज फिर इसी रूट पर देश की पहली ऑटोमेटेड मेट्रो का उद्घाटन करने का अवसर मिला है.उन्होंने कहा, “ये दिखाता है कि भारत कितनी तेज़ी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ़ आगे बढ़ रहा है. आज नेशनल कॉमन मॉबिलिटी कार्ड से भी मेट्रो जुड़ रही है. पिछले साल अहमदाबाद से इसकी शुरुआत हुई थी. आज इसका विस्तार दिल्ली मेट्रो की एयर पोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर हो रहा है.”
ट्रेन परिचालन पर ड्राइवरों का कितना नियंत्रण हैं
डीएमआरसी के मुताबिक़, अभी भी ज़्यादातर ट्रेन को रिमोट कंट्रोल के द्वारा ऑपरेशन रूम से नियंत्रित किया जाता है, जिसे ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर या ओसीसी कहते हैं.यहाँ से इंजीनियरों की टीमें पूरे नेटवर्क में रियल टाइम ट्रेन मूवमेंट पर नज़र रखती हैं. ये एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल की तरह होता है. डीएमआरसी के पास अभी तीन ओसीसी हैं, जिनमें दो मेट्रो मुख्यालय के अंदर और एक शास्त्री पार्क में है.ड्राइवर और ट्रेन ऑपरेटर के पास कितना कंट्रोल है ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस लाइन पर ट्रेन चला रहे हैं.पुराने कॉरिडोर जैसे रेड लाइन और ब्लू लाइन पर ड्राइवर का कंट्रोल ज़्यादा होता है. वो ट्रेन की स्पीड से लेकर दरवाज़े खुलने और बंद करने तक को कंट्रोल करते हैं. हालांकि वो एक तय लिमिट से तेज़ गाड़ी नहीं चला पाते.दूसरी लाइनों पर ड्राइवर सिर्फ़ चलने का कमांड देते हैं. लेकिन कई बार इन लाइनों पर भी ऑटोमैटिक कंट्रोल बंद कर दिए जाते हैं ताकि ड्राइवर किसी तरह की आपातकाल परिस्थिति के लिए तैयार रहें।
जानिए कितनी सुरक्षित है ड्राइवरलेस मेट्रो
डीमआरसी के मुताबिक़ मेट्रो को चलाने से जुड़े कई काम पहले से ही ऑटोमैटिक हैं. हाई रिज़ॉल्यूशन के कैमरे लग जाने से ट्रैक पर केबिन से नज़र रखने की ज़रूरत नहीं होगी. इस नए प्लान के मुताबिक़ ट्रैक और ट्रेन के ऊपर से गुज़रने वाली तारों पर लगातार नज़र रखी जाएगी और किसी आपातकाल की स्थिति में तुरंत क़दम उठाए जा सकेंगे.कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सेफ़्टी ने 18 दिसंबर को बिना ड्राइवर के ट्रेन की अनुमति दी थी. उनका ये सुनिश्चित करने का निर्देश है कि कमांड सेंटर पर सबकुछ साफ़ दिखे और ट्रेन पर लगे कैमरों को नमी से मुक्त रखा जाए.डीएमआरसी के मुताबिक़ उन्होंने प्रणालियों के निरीक्षण और समीक्षा के लिए एक सलाहकार भी नियुक्त किया है. इसकी रिपोर्ट डीएमआरसी सीएमआरएस को परिचालन शुरू होने के बाद देगा.कमांड सेंटर पर इंफ़ॉर्मेशन कंट्रोलर होंगे, जो कि यात्रियों और भीड़ की मॉनीटरिंग करेंगे. इसके अलावा ट्रेन से जुड़ी दूसरी जानकारियों और सीसीटीवी की भी लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी. लेकिन अभी भी ये सिस्टम अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशन मोड यानि पूरी तरह से ड्राइवरलेस मोड से दूर है।