
नई दिल्ली। मस्तिष्क हमारे शरीर का एक ज़रूरी हिस्सा है। बिना दिमाग के हम किसी काम के नहीं रहेंगे। हमारे दिमाग में अक्सर बहुत सी चीज़े मौजूद होती है। ज्यादा चीजें दिमाग में होने के कारण अक्सर हमारा दिमाग हैंग करने लगता है यानी कि टेंशन में आ जाता है। ऐसे में साइंस ने यह बताया है कि हमारे मस्तिष्क में भी एक डिलीट बटन होता है, जिसे साइंस की भाषा में न्यूरो सर्किट कहते हैं।
कंप्यूटर की तरह हमारा दिमाग भी काम करता है इसलिए वह उसी की तरह हैंग भी कर जाता है। ऐसे में हमें ज़रूरत होती है दिमाग से कुछ गैरज़रूरी चीज़ों को डिलीट करने की। आज हम आपको मस्तिष्क में मौजूद न्यूरो सर्किट के इस्तेमाल के बारें में बताएंगे।
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न्यूरो सर्किट करता है छंटाई
इस न्यूरो सर्किट का आप जितना इस्तेमाल करेंगे, वो उतना ज्यादा मजबूत होता जाएगा। जैसे ही आप किसी भी जानकारी को लंबे समय तक याद नहीं करते या उस प्रक्रिया का अभ्यास नहीं करते तो आप उसे भूलने लगते हैं।
इसे न्यूरोसाइंस में सिनैप्टिकल प्रूनिंग कहते हैं, जो आपके दिमाग में कम इस्तेमाल होने वाली बातों की छंटाई खुद-ब-खुद करता रहता है।
माली की तरह होता है न्यूरो सर्किट
इंसान का दिमाग बगीचे की तरह होता है। जिस प्रकार माली बगीचे में फल, फूल और अपनी पसंद की अन्य चीजें समय समय पर बोते हैं और पुरानी चीजों को हटा देते हैं ठीक उसी प्रकार न्यूरो सर्किट यही करता है।
दिमागी कचरे को करती है डिलीट
न्यूरो सर्किट दो तरीके से काम करता है पहला ग्लियल कोशिका, जो नई सूचनाओं व जानकारियों को न्यूरॉन्स में सिगनल भेजकर सक्रिय बनाए रखती हैं। यानी याद्दाश्त बनी रहती है। वहीं माइक्रोग्लियल कोशिकाएं मस्तिष्क में मौजूद पुरानी बातों को यानी दिमागी कचरे को डिलीट करने का काम करती है। इसे ही न्यूरोसाइंस में सिनैप्टिकल प्रूनिंग कहते हैं। ऐसा होने पर वह बात लाख कोशिश के बावजूद आपको याद नहीं आती।




