
जहां सरकार की ओर से कोई भी वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस (DL) अनिवार्य है, वहीं आज भी भारत में कई लोग बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाते नजर आते हैं।

वहीं ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आपको परीक्षा देनी पड़ती है। अगर आप उसमें सफल हो जाएं तो ही आपको लाइसेंस मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों को आसान बनाने के लिए और जनता को ज्यादा सेवाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार इसके नियमों में कुछ बदलाव करने जा रही है।
जहां ये नियम एक अक्टूबर 2019 से लागू होंगे और तब से आपका ड्राइविंग लाइसेंस पूरी तरह बदल जाएगा। आइए जानते हैं क्या है ये नियम।
बता दें की नए ड्राइविंग लाइसेंस की सबसे खास बात ये है कि इसमें माइक्रोचिप और क्यूआर कोड होंगे। इसके माध्यम से अतीत में किए गए नियम उल्लंघनों को छिपाना लगभग असंभव होगा।
लेकिन क्यूआर कोड के जरिए केंद्रीय ऑनलाइन डाटाबेस से ड्राइवर या वाहन के पिछले रिकॉर्ड को एक डिवाइस के जरिए पढ़ा जा सकेगा। क्यूआर कोड को स्कैन करते ही गाड़ी और ड्राइवर की सारी डिटेल मिल जाएंगी।
वहीं इसको लेकर केंद्र सरकार 30 अक्टूबर 2018 को नोटिफिकेशन जारी कर चुकी है। नोटिफिकेशन के मुताबिक सभी राज्यों को एक अक्टूबर से ड्राइविंग लाइसेंस और वाहनों की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पीवीसी आधारित बनाने होंगे या फिर वो पोलिकार्बोनेट होंगे।
देखा जाये तो अब तक हर राज्य अपनी सुविधा के अनुसार ही डीएल और आरसी तैयार करता है। लेकिन एक अक्टूबर से ऐसा नहीं होगा। अब सभी राज्यों के ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी एक जैसे ही बनेंगे।
दरअसल भारत में रोजाना करीब 32,000 ड्राइविंग लाइसेंस इशू होते हैं या रीन्यू किए जाते हैं। इससे रोजाना करीब 43,000 गाड़ियां रजिस्टर या री-रजिस्टर होती हैं। बता दें कि इस नए ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी में 15 से 20 रुपये ही खर्च होंगे।