एग्जाम में कपड़े उतारकर ना हो तलाशी इसलिए नाबालिग ने की आत्महत्या
रायपुर। बोर्ड एग्जाम में कपड़े उतारकर तलाशी लिए जाने के डर से छत्तीसगढ़ में 10वीं की छात्रा द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। 16 साल की आदिवासी छात्रा ने 1 मार्च को अपने भाई से अपने डर के बारे में जिक्र भी किया था। इस दौरान उसने अपने भाई से कहा कि अगर उसके साथ कुछ ऐसा हुआ तो वह मर जाएगी।
आदिवासी छात्रा ने अपने भाई को बताया था कि उसके स्कूल की दो लड़कियों और एक लड़के की परीक्षा से पहले कपड़े उतारकर तलाशी ली गई थी। भाई का कहना है कि इसी डर के चलते उसकी बहन ने 4 मार्च को आत्महत्या कर ली। मामला छत्तीसगढ़ में जशपुर के एक गांव का है। जशपुर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं लेकिन बुधवार तक इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं हुआ।
एक अधिकारी ने बताया कि मामले में प्रिसिंपल और छात्रों के बयान लिए जाने हैं लेकिन प्रशासन बोर्ड एग्जाम के दौरान छात्रों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता। बताया जा रहा है कि 1 मार्च को दसवीं के बोर्ड एग्जाम के पहले दिन जैशपुर के पांध्रपथ एग्जामिनेशन सेंटर कथित रूप से कपड़े उतारकर तलाशी ली गई थी। फ्लाइंग स्क्वॉड सदस्यों को तीन छात्रों पर नकल को लेकर संदेह हुआ था। इसके बाद दो लड़कियों और एक लड़के को अलग-अलग कमरों में ले जाकर उनके कपड़े उतारकर तलाशी ली गई।
लड़के के पास से नकल की पर्ची निकली और उसे एग्जाम से बाहर कर दिया गया। लड़कियों के पास से नकल की कोई सामग्री नहीं मिली लेकिन उन्होंने अपने दोस्तों को बताया कि कैसे चेकिंग के नाम पर उन्हें अपमानित किया गया। 16 साल की बच्ची के परिजन ने बताया कि उसने भी यह बात सुनी तो डर गई। जब वह घर लौटकर आई तो काफी डिस्टर्ब लग रही थी। इसके बाद उसके भाई ने पूछताछ की।
भाई के अनुसार, पीड़िता ने कहा, ‘मैं मर जाऊंगी। लड़कियों की चेकिंग के नाम पर उनके कपड़े उतरवाए गए।’ जब भाई ने और डीटेल में बात जाननी चाही तो बहन ने मना कर दिया और कहा कि उसे शर्म महसूस हो रही है लेकिन एक बात वह लगातार बोले जा रही थी- ‘मैं मर जाऊंगी।’ उसके परिजन को लगा कि उसने एग्जाम ठीक से नहीं दिया है और पढ़ाई में ध्यान न देने के चलते उसे डांट पड़ी है। वह अगले दो दिन तक चुप रही।
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3 मार्च को वह घर से गायब हो गई। उसके परिवार ने उसे काफी ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं मिली। अगले दिन ग्रामीणों को उसका शव एक जंगल के पास पेड़ से लटकता मिला। कलेक्टर नीलेश ने कहा, ‘पीड़िता उन लोगों में से नहीं थी जिनकी एग्जाम हॉल में तलाशी ली गई थी। आत्महत्या के पीछे वजह स्पष्ट नहीं है। स्कूल में चेकिंग को लेकर वह डिस्टर्ब थी यह भी हम स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते।’
स्कूल प्रिंसिपल ने इस बात की पुष्टि की कि दो लड़कियों को एक कमरे में ले जाया गय था। एग्जाम का एक दो घंटे का समय बर्बाद भी हुआ क्योंकि टीम छात्रों को एक कमरे से दूसरे कमरे में शिफ्ट कर रही थी।