प्रेरक प्रसंग : क्रोध को नियंत्रित करने के उपाय

बहुत पुरानी बात है। एक गांव में 12 वर्ष का लड़का अपने परिजनों के साथ रहता था। लड़का दिल का साफ था, लेकिन उसे गुस्सा बहुत आता था।

प्रेरक प्रसंग

उसके परिजन काफी परेशान थे। तब एक दिन उसके पिता ने उसे ढेर सारी कीलें दीं और कहा, ‘जब भी क्रोध आए वो घर के सामने लगे पेड़ में वह कीलें ठोंक दे।’

लड़के ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए ठीक वैसे ही किया। जब उसे गुस्सा आया तो पहले दिन लड़के ने पेड़ में 30 कीलें ठोंकी। अगले कुछ हफ्तों में उसने गुस्से पर काबू कर लिया।

अब वह पेड़ में रोज इक्का-दुक्का कीलें ही ठोंकता था। उसे यह समझ में आ गया था कि पेड़ में कीलें ठोंकने के बजाय क्रोध पर नियंत्रण करना आसान था। लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब उसने पेड़ में एक भी कील नहीं ठोंकी।

जब उसने अपने पिता को यह बताया तो पिता ने उससे कहा, ‘वह सारी कीलों को पेड़ से निकाल दे।’ लड़के ने बड़ी मेहनत करके जैसे-तैसे पेड़ से सारी कीलें खींचकर निकाल दीं। जब उसने अपने पिता को काम पूरा हो जाने के बारे में बताया तो पिता बेटे का हाथ थामकर उसे पेड़ के पास लेकर गया।

पिता ने पेड़ को देखते हुए बेटे से कहा, ‘तुमने बहुत अच्छा काम किया, मेरे बेटे, लेकिन पेड़ के तने पर बने सैकडों कीलों के इन निशानों को देखो। अब यह पेड़ इतना खूबसूरत नहीं रहा। हर बार जब तुम क्रोध किया करते थे तब

इसी तरह के निशान दूसरों के मन पर बन जाते थे।

अगर तुम किसी पर भी गुस्सा होकर बाद में हजारों बार माफी मांग भी लो तब भी मन के घाव का निशान वहां हमेशा बना रहेगा। अपने मन-वचन-कर्म से कभी भी ऐसा काम न करो जिसके लिए तुम्हें पछताना पड़े।

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