रिसर्च में बड़ा खुलासा , अल्टिमा थुले पर मिले पानी के सबूत…

नई दिल्ली : अमेरिकी वैज्ञानिकों को धरती से करीब 4 अरब मील दूर स्थित अल्टिमा थुले की सतह पर पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। जहां अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अल्टिमा थुले की पहला प्रोफाइल अपने साइंस जर्नल में प्रकाशित किया है, जिसमें इसकी सतह पर पानी की जमी बर्फ, मेथेनॉल और कार्बनिक अणुओं के मिश्रण की मौजूदगी पाई गई है। वहीं अल्टिमा थुले इंसान की तरफ से खोजी गई आज तक की सबसे दूर की सतह है।

 

बता दें की कूइपर बेल्ट में स्थित ऑब्जेक्ट 2014 एमयू69 नामक पिंड को अल्टिमा थुले नाम दिया गया है। नासा के न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान ने 2019 में नए साल के मौके पर उड़ान के दौरान इस पिंड का डाटा इकट्ठा किया था।

 

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देखा जाये तो जिसके पहले सेट का विश्लेषण करने के बाद अंतरिक्ष की जटिल दुनिया के बारे में और अधिक जानकारी मिली है। इस सेट के विश्लेषण से अल्टिमा थुले के विकास, भूविज्ञान और रचना के बारे में बहुत कुछ खुलासा हुआ है।

 

लेकिन जिनमें इसकी सतह पर खास निशान, पहाड़नुमा आकृतियां और ज्वालामुखी के विस्फोट से बनने वाले गड्ढे भी शामिल हैं। इस पिंड की सतह कूइपर बेल्ट के अन्य पिंडों की तरह ही गहरी लाल है। इसका कारण सतह पर कार्बनिक तत्वों की ज्यादा मौजूदगी को माना जा रहा है।

वहीं शोधकर्ता अल्टिमा थुले की सतह की विशेषताओं का भी अध्ययन कर रहे हैं। उन्हें यहां पर ज्वालामुखी के विस्फोट से बनने वाले गड्ढे (क्रेटर) जैसा ही एक निशान मिला है, जो करीब 8 किलोमीटर चौड़ा है। जहां इसे मैरीलैंड क्रेटर का नाम दिया गया और माना जा रहा है कि यह इसकी सतह पर किसी बड़े पिंड के टकराने से बना है।

 

दरअसल अल्टिमा थुले का डाटा देने वाले नासा के अंतरिक्ष यान न्यू होराइजन्स का सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। पृथ्वी से करीब 6.6 अरब किलोमीटर दूर पहुंच चुका यह यान अब भी कूइपर बेल्ट से नया डाटा भेज रहा है। नासा के मुताबिक, यान का संचालन सामान्य है और वह कूइपर बेल्ट में करीब 5 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा  हैं।

 

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