मृत व्यक्ति की लाश को जलाने की क्यों रहती है जल्दी, इसके पीछे है एक खौफनाक कारण…

जब भी हमारे परिचित या किसी अपने की मृत्यु होती है तो इसका गहरी पीड़ा होती है लेकिन फिर भी मृत्यु के साथ ही उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में लग जाते हैं। कल तक जिसे जीवित रूप में हम अपना मानते थे।

आज वही सिर्फ एक लाश बनकर रह जाता है, और ऐसे में घर वालों से लेकर गांव और मोहल्ले वालों की यही कोशिश रहती है कि जल्द से जल्द व्यक्ति की चिता जलाई जाए। ऐसे में क्या आपके मन में ये प्रश्न आया है कि आखिर सभी को मृत व्यक्ति की लाश जलाने की इतनी जल्दी क्यों रहती है। अगर आप इसके विषय में नही जानते हैं तो चलिए आज आपको बताते हैं।
लाश को जलाने की क्यों रहती है जल्दी
आखिर किसी मौत के बाद लोगों को क्यों जल्दी रहती है उसकी लाश जलाने की, इसके साथ ही अंतिम संस्कार के महत्व को जानते हैं।

सनातन धर्म में मनुष्य मृत्यु तक सोलह संस्कार…
सनातन धर्म में मनुष्य के लिए जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार बताए गए हैं। जिसमें मृत्यु आखिरी संस्कार है। मृत्यु के बाद होने वाला अंतिम संस्कार है। शास्त्रों में अंतिम संस्कार को बहुत महत्व दिया गया है माना जाता है।

चंदन और तुलसी की लकड़ियों का इस्तेमाल…
बता दे, जलाने से पहले रास्ते में पिंडदान करने से देवता और पिशाच दोनों खुश हो जाते है। ऐसे में लाश भी अग्नि में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है।

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बता दे कि जलाते से पहले लाश के हाथ पैर बाँध दिए जाते है और ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि लाश के अंदर पिशाच प्रवेश न कर जाए। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लाश को जलाते समय हमेशा चंदन और तुलसी की लकड़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए। वो इसलिए क्यूकि यह लकडिया शुभ होती है और जीवात्मा को दुर्गति से मुक्त रखती है।

गांव या मोहल्ले में लाश पड़ी होती है तब तक घरों में पूजा नहीं होती…
गरुड़ पुराण में लिखा है कि जब तक गांव या मोहल्ले में किसी की लाश पड़ी होती है तब तक घरों में पूजा नहीं होती। इतना ही नहीं, गरुड़ पुराण के अनुसार लोग अपने घरों में चूल्हा भी नहीं जला सकते। मतलब इस स्थिति में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकता। और तो और शव रहने तक व्यक्ति स्नान भी नहीं कर सकता।

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