चीन ने छुड़ाया महाशक्तियों का पसीना, बनाया वो हथियार जो पलक झपकते ही उजाड़ देगा दुनिया

भारत, अमेरिका और जापानपेइचिंग। चीन ने अपने रक्षा क्षेत्र को और मजूबत बनाते हुए भारत, अमेरिका और जापान को तगड़ा झटका दिया है। चीनी रॉकेट फोर्स ने अत्याधुनिक मीडियम रेंड बलिस्टिक मिसाइल डीएफ-16 के साथ अभ्यास किया है। जिनकी मारक क्षमता एक हजार किलोमीटर तक हैं। जिसकी जद में भारत और जापान के साथ साथ अमेरिका भी आता है।

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने हाल ही में इन DF-16 मीडिम रेंड बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ अभ्यास का वीडियो जारी किया है। इस फुटेज में कई लॉन्च वीइकल्स में ये मिसाइलें लदी हुई दिखाई दे रही हैं।  चीन ने जल्दी ही अपने सैन्य साजो सामान और मिसाइलों के लिए अलग से एक रॉकेट फोर्स का गठन किया है।

इस विडियो में सबसे खास बात ये है कि चीनी सैनिक मिसाइल से जुड़े अभ्यास करते तो दिख रहे हैं। लेकिन इसे दागते हुए वे कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। चीनी सैनिकों ने इस अभ्यास में युद्ध स्तर पर और उसके समय अपनाई जाने वाली रसायनिक/बायलॉजिकल हमला, उपग्रह से जासूसी की कोशिशों का मुकाबला करना और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग जैसी तमाम रणनीतियों का बारीकी से प्रशिक्षण लिया।

ट्रंप को सबक सिखाने की तैयार में है चीन
ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने के बाद से ही ताइवान के मामले में हस्तक्षेप करना चीन को कतई रास नहीं आ रहा है। जिस पर उसने कई बार अमेरिका से आपत्ति भी जताई है और फर्स्ट एयरक्राफ्ट कैरियर को ताइवान जलडमरूमध्य भी भेजा था। इसके साथ ही चीन ने विवादित दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र में भी नौसेना अभ्यास किया था। रूसी मीडिया का कहना है कि चीन ने उसकी सीमा से सटे अपने क्षेत्र में एक लंबी दूरी की मिसाइल तैनात कर रखी है जिसका निशाना अमेरिका की ओर है।

तेजी से बढ़ा रहा है हथियारों का जखीरा
एक अमेरिकी चैनल हाल ही में एक खबर चलाई थी कि चीन ने अमेरिका को अपनी ताकतों का एहसास कराने के लिए DF-5C अंतर्महाद्वीपीय बलिस्टिक मिसाइलों का जनवरी में पहली बार प्रक्षेपण किया था। ट्रंप ने विवादित दक्षिणी चीन के साथ-साथ ताइवान मसले पर कड़ा रुख अपनाने का संकेत दिया है जिसके जवाब में चीन ट्रंप को सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है।

चीन ने पहली बार 2015 में इस मिसाइल का प्रदर्शन किया था। इसके बाद जुलाई 2016 में भी सेंट्रल मिलिटरी कमीशन के उपाध्यक्ष ने D-16 यूनिट का निरीक्षण किया था जिसकी जानकारी एक न्यूज चैनल के द्वारा प्राप्त हुई थी। बता दें कि चीन की पॉलिसी है कि वह अपने बैलिस्टिक मिसाइल्स और सैन्य उपकरणों का ब्योरा कभी सार्वजनिक नहीं करता है। वहीं विशेषज्ञों ने बताया कि जापान से लेकर उत्तर में ताइवान और दक्षिण में फिलीपीन्स तक फैले द्वीपसमूह को चीन की सेना ‘फर्स्ट आइलैंड चेन’ के नाम से जाना जाता है और D-16 इस चेन में तैनात अन्य राष्ट्रों की सेनाओं के लिए एक गंभीर चुनौती है।

 

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