भगवान राम के वनवास के समय जहां भाई भरत ने तप किया, वहां किया जाएगा ये काम

रिपोर्ट- रूपेश श्रीवास्तव 

अयोध्या- भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास मिला था। अयोध्या का राजपाट छोटे भाई भरत के हवाले हुआ था लेकिन धर्म की रक्षा और राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश करने के लिए वनवास को गए राम को दैवीय संबल प्रदान करने के लिए भरत ने नंदीग्राम में 14 वर्ष तक तप और अनुष्ठान किया।

अब यही भरत तपस्थली पर अवधेश दास की ओर से 14 वर्ष तक चलने वाला राम नाम संकीर्तन कराया जा रहा है। नेत्रहीन अवधेश दास राम नगरी के कनीगंज इलाके में कई वर्षों से अंध विद्यालय चलाते हैं।वैसे तो अंध विद्यालय चलाने वाले अवधेश दास की ओर से एक वर्ष पूर्व जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए राम नाम संकीर्तन शुरू कराया गया था।

यह राम नाम संकीर्तन भरतकुंड नंदीग्राम के उसी हनुमान मंदिर में शुरू कराया गया था,जहां अयोध्या नरेश भरत के बाण से राम के अनन्य सेवक हनुमान गिरे थे। बाद में यहां पर हनुमान जी का मंदिर बना दिया गया था। राम नाम संकीर्तन का एक वर्ष भी पूरा नहीं होने पाया कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की ओर से रामलला के पक्ष में फैसला आ गया और जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हो गया।

एक साध पूरी होने के बाद अब बाबा अवधेश दास ने इसको वर्तमान सांसारिक जीवन में आमजन के समक्ष आ रही शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान तथा परमात्मा की कृपा हासिल करने के लिए आगे बढ़ा दिया है। हनुमान जी को एक अरब सीताराम नाम मंत्र सुनाने के इस काम में जुड़े आसपास के 365 गांव के लोगों ने सीताराम नाम संकीर्तन को जारी रखने का अनुरोध किया था।

अंध विद्यालय के संचालक और कर्ता-धर्ता अवधेश दास का कहना है कि राम कथा में प्रसंग आता है कि श्री राम को 14 साल का वनवास दिया गया था। दैवीय शक्तियों इच्छा के चलते अयोध्या का राजपाट छोटे भाई भरत को सौंप राम को आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए जंगल की ओर प्रयाण करना पड़ा था। राम के समक्ष चुनौतियां बड़ी थी और इस बात का छोटे भाई भरत को पूरा एहसास था। इसी के चलते जब राम ने चित्रकूट से भरत को वापस अयोध्या लौटा दिया तो उन्होंने राज सिंहासन पर बड़े भाई श्री राम की खड़ाऊ रख दी और खुद राम के समक्ष आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भरतकुंड पहुंच 14 वर्ष लंबे अनुष्ठान में जुट गए।

इसी अनुष्ठान के चलते श्री राम सकुशल वापस अयोध्या लौटे। इसी को लेकर उनके मन में विचार आया और आसपास के लोगों से विचार विमर्श कर भरतकुंड स्थित हनुमान को एक अरब राम नाम मंत्र सुनाने का फैसला किया। अनुष्ठान को पूरा करने के लिए 365 गांव के लोगों का सहयोग लिया गया।

हर गांव को केवल 24 घंटे का समय दिया जा रहा है। हनुमान मंदिर समेत एक अन्य स्थान पर भी अनुष्ठान कराया जा रहा है। आकांक्षा है कि लोगों को शारीरिक,सामाजिक और आर्थिक परेशानियों से निजात मिले तथा देश में रामराज्य का सपना साकार हो।व्यवस्थापक परमात्मा दास का कहना है कि आम लोगों के सहयोग से यह अनुष्ठान कराया जा रहा है।

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राम नाम संकीर्तन शुरू कराने के एक साल के भीतर ही राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया। अनुष्ठान को पूरा कराने के लिए आसपास के 365 गांव को जोड़ा गया है और इच्छुक लोगों का पंजीकरण किया जा रहा है। अतुलित बल धामा कहे जाने वाले हनुमान जी सभी की इच्छा पूरी करेंगे।

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