पाक वीजा पर बैन लगवाने को अमादा ये पाकिस्तानी, खोला नवाज का कड़वा सच

पाक के वीजा पर बैनइस्लामाबाद। सात मुस्लिम देशों पर अमेरिका द्वारा बैन लगाने के बाद एक पाकिस्तानी ने अपने ही मुल्क पाक के वीजा पर बैन लगाने की बात कही थी। इस पर पाकिस्तान की जनता ने उसे काफी खरी खोटी भी सुनाई। लेकिन वह अभी भी अपनी बात पर कायम है। बता दें यह हैं पाकिस्तान के जाने-माने नेता इमरान खान। उन्होंने अपने आवास पर कुछ पत्रकारों से बात-चीत के दौरान इस बात का खुलासा किया। उन्होंने अपनी बात को सही करार दिया और उसका अहम कारण भी बताया।

पाक के वीजा पर बैन     

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का एक रसूखदार वर्ग हर साल विदेशी इलाज और अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करता है जिसपर अरबों रुपये खर्च होते हैं। इमरान ने कहा कि जो पैसा कैंसर के इलाज के लिए विदेश खर्च किया जाता है उससे हर साल पाकिस्तान में एक अस्पताल बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यही हाल शिक्षा का है, जहाँ पाकिस्तानी छात्र जितना पैसा विदेशी विश्वविद्यालयों को देते हैं, वो पाकिस्तान के सालाना शिक्षा बजट से ज्यादा है। हालाँकि ये स्पष्ट नहीं है कि इमरान ने ये दावा किन आंकड़ों के आधार पर किया है, पर संभावना जताई जा रही है कि शायद उन्होंने ये यह बात धारणा के आधार पर बनाई होगी।

अपने बयान के बारे में सफाई देते हुए इमरान ने कहा कि उनकी कोशिश केवल ये थी कि इस तरह के बैन से देश के रसूखदार तबके को पाकिस्तान पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया जाए।

उन्होंने याद दिलाया कि पाकिस्तान के इतिहास में एक ऐसा समय भी था जब अमेरिका से उसे ना सैन्य और ना ही नागरिक सहायता मिलती थी, लेकिन देश अच्छी प्रगति कर रहा था।

उन्होंने ईरान की मिसाल देते हुए कहा कि कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद वह आज पाकिस्तान से अधिक मजबूत बन कर सामने आया है जिसने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जबरदस्त तरक्की की है।

उन्होंने याद दिलाया कि एक समय था जब मध्य-पूर्व से युवा बड़ी संख्या में पढ़ाई के लिए पाकिस्तान आते थे।

इमरान खान के इन बयानों के बाद कहा जा रहा है कि उन्होंने लंबे समय के बाद अपनी तोपों का रूख नवाज शरीफ और उनके परिवार की ओर किया जो अक्सर इलाज के लिए विदेश जाते रहते हैं।

उन्होंने एक बयान में कहा था कि शरीफ खानदान पर भी वीजा प्रतिबंध होंगे तो वो पाकिस्तान पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

वहीं डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिबन्ध वाले फैसले पर कड़ा रुख अपनाते हुए इमरान ने इसे नस्लवाद पैदा करने वाला फैसला बताया। उनका कहना है कि इस फैसले से अमेरिका सिर्फ नफरत ही बटोरेगा।

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