जानिए चुनावी नतीजे आने के 8 दिनों के अंदर यूपी में 28 यादवों की हुई दर्दनाक हत्या…

23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए. और परिणाम के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों से हत्याओं की खबरें सामने आने लगीं. कई हत्याओं के पीछे राजनीतिक कारण गिनाए गए. केस हुए. गिरफ्तारियां हुईं. लेकिन चर्चाएं ऐसी हैं कि इन सभी हत्याओं के पीछे कहीं न कहीं उन क्षेत्रों के चुनाव परिणाम कारण हैं, जिन क्षेत्रों में वारदातों को अंजाम दिया गया.

यादव हत्या

 

बता दें की सोशल मीडिया के साथ-साथ ऐसे संदेश चल रहे हैं कि चुनाव परिणाम से दस दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश में 28 लोगों का क़त्ल किया गया है. इस मैसेज में यह भी इशारा किया गया है कि सपा के शासन काल में ऐसी घटनाएं हुई होतीं तो लोग इसे जंगलराज या गुंडाराज करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ते.

 

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देखा जाये तो वायरल हो रही लिस्ट तो खैर पहली नजर में ही गलत साबित होती है. लिस्ट के ऊपर लिखा गया है कि ये हत्याएं यूपी में हुई हैं, जबकि नीचे लिखी जगहें यूपी के साथ-साथ बिहार और छत्तीसगढ़ तक में हैं. मसलन, नवादा, पटना, पूर्णिया और नालंदा बिहार में आते हैं. बालोद आता है छत्तीसगढ़ में.

जहां इन हत्याओं को सरसरी निगाह से देखने पर पता चलता है कि अधिकतर हत्याओं का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. कई हत्याओं के बारे में कहीं कोई खबर नहीं मिली, न स्थानीय सूत्रों के पास कोई जानकारी. जिनकी हत्या हुई है, उनमें कोई छेड़खानी के चक्कर में मारा गया, तो कोई मारा गया गैंगबाजी के चक्कर में. कुछ के बारे में तो कोई जानकारी ही नहीं.

कुछेक उदाहरणों के बारे में बात करें तो इस लिस्ट में जहानाबाद के अनुज सचान का नाम है. 23 मई. कांग्रेसी कार्यकर्ता अनुज सचान की हत्या उनकी दुकान पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अखबारों के मुताबिक़ अनुज सचान की हत्या में जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश सचान ने सीधा आरोप भाजपा पर लगाया.

वहीं राकेश सचान ने कहा कि जीत के जश्न में भाजपा कार्यकर्ताओं ने अनुज सचान पर गोली चला दी. हालांकि शुरुआती जांच में पुलिस ने कहा है कि अनुज सचान पर हमला करने वाले उधार की कोल्ड ड्रिंक मांग रहे थे. नहीं देने पर मारपीट हुई. और गुस्से में आरोपियों ने गोली चला दी.

मसलन प्रयागराज की राखी यादव का भी नाम इस लिस्ट में है. लेकिन राखी यादव को उनके साथ रहने वाले प्रमोद चौधरी ने गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्या के पीछे भी कोई राजनीतिक कारण नहीं था. बिहार के जमुई, नवादा के तीन युवकों राज कुमार उर्फ पल्लू यादव, जितेंद्र कुमार उर्फ रिंकू और विक्की कुमार का अपहरण कर हत्या कर दी गयी. इस मामले में अभी तक पुलिस कोई खुलासा कर पाने में असफल रही है.

दरअसल ये बात हो गई लिस्ट के कुछ नामों और उनकी हत्या की अलग-अलग वजहों की. लेकिन इसी बहाने हम यूपी में हुई उन 6 हत्याओं का ज़िक्र करना चाह रहे हैं, जिनमें मारे गए लोग किसी न किसी रूप में राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए थे.

जहां इन हत्याओं पर यूपी में बहुत चर्चा और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. स्मृति ईरानी से लेकर अखिलेश यादव सभी ने अपने-अपने तरीकों से सवाल उठाए हैं. मरने वालों में एक भाजपा कार्यकर्ता है. दो बसपा कार्यकर्ता. और तीन सपा कार्यकर्ता.

दरअसल अमेठी के चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया था. चुनाव परिणाम के दो दिनों बाद यानी 25 मई को स्मृति ईरानी के करीबी कहे जा रहे सुरेन्द्र सिंह की हत्या कर दी गयी. सुरेन्द्र सिंह अमेठी के बरौली गांव के पूर्व प्रधान थे. स्थानीय बताते हैं कि सुरेन्द्र सिंह ने इस लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी के प्रचार में बहुत मदद की थी.

 

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