आपदा में जीवित बचे लोगों की तलाश में बारिश बनी मुसीबत

जकार्ता। इंडोनेशिया के जावा तट पर भारी बारिश मंगलवार को सुंडा स्ट्रेट में आई सुनामी में जीवित बचे लोगों की तलाश में बचाव दलों के लिए मुश्किल पैदा कर रही है।

ज्वालामुखी विस्फोट के बाद शनिवार को आई सुनामी के कारण मलबे में फंसे लोगों की तलाश में आपातकालीन टीमें करीब 100 किलोमीटर समुद्र तट की छानबीन कर रही हैं। इस भयावह आपदा में कम से कम 373 लोग मारे गए हैं, 1,459 घायल हुए हैं और 128 लापता हैं।

‘एफे’ के अनुसार, सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र जावा के पश्चिमोत्तर का पांडेगलांग रहा जहां 267 लोगों की मौत हुई, 1,143 घायल हुए और 38 लापता हैं।

इस पर्यटन क्षेत्र में कई लोग छुट्टियां मनाने आए थे और ये आपातकालीन चेतावनियों के अभाव में लहरों की चपेट में आ गए।

कुत्तों और भारी मशीनरी की मदद के साथ बचावकर्मी मलबे के हर ढेर को खंगाल रहे हैं जो त्रासदी से पहले स्थानीय निवासियों के घर और दुकानें थीं।

सोशल मीडिया पर साझा एक वीडियो में दिखाया जा रहा है कि राहतकर्मियों का एक समूह 12 घंटों तक फंसे रहने के बाद पांच साल के एक बच्चे को जीवित बचाने में कामयाब रहा है।

सुनामी के दो दिन बाद सोमवार को राहतकर्मी सुमुर कस्बे पहुंच पाए जहां 36 लोगों की मौत हुई और 476 घायल हुए हैं।

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दक्षिण सूमात्रा का लैम्पुंग प्रांत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है जहां कम से कम 75 लोगों के मारे जाने और 22 के लापता होने की खबर है।

आपदा प्रबंधन की राष्ट्रीय एजेंसी ने बताया कि इंडोनेशिया में ज्वालामुखी की गतिविधियों के कारण आने वाली सुनामी की चेतावनी प्रणाली नहीं है और भूकंप के बाद समुद्र की लहरों में अचानक वृद्धि का पता लगाने में विफल रहने के लिए प्रबंधन, रखरखाव और धन की कमी जिम्मेदार है।

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