महान पेंटर्स में शुमार हैं अमृता शेरगिल, जिन्होंने अपनी तस्वीरों में पूर्व और पश्मिच का बेहतरीन मेल किया

भारतीय मूल की अमृता शेरगिल सदी के उन महान पेंटर्स में शुमार हैं, जिन्होंने महिलाओं की जिंदगी की कश्मकश को अपनी तस्वीरों में उतार दिया। विद्रोही स्वभाव की अमृता ने समाज के बंधनों में जकड़ी महिलाओं को अपनी तस्वीरों के माध्यम से मुक्त होने का सपना दिखाया। उनकी तस्वीरें महिला सशक्तीकरण की जीती-जागती मिसाल हैं।

भारतीय कला जगत में एक सितारे की तरह चमकने वाली अमृता शेरगिल हैं Herzindagi की नायिका।

महान पेंटर्स में शुमार हैं अमृता शेरगिल, जिन्होंने अपनी तस्वीरों में पूर्व और पश्मिच का बेहतरीन मेल किया

अमृता शेरगिल को भारत की सबसे ज्यादा इन्फ्लुएंशियल महिला आर्टिम्स में गिना जाता है। ‘इंडियन मॉडर्न आर्ट की पाइनियर’ कही जाने वाली अमृता शेरगिल का जन्म हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था।

अमृता के पिता सिख थे और मां हंगरी की। इसीलिए अमृता की पेंटिंग्स में पूर्व और पश्चिमी दुनिया का बेहतरीन संगम दिखाई देता है।

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अमृता बेबाक और बिंदास थीं और उनकी तस्वीरों में भी उनकी यही दमदार शख्सीयत झलकती है। उनकी तस्वीरें रियलिटी बयां करती हैं। आर्ट एक्सपर्ट सहर जमन अमृता की पेंटिंग्स की तारीफ करते हुए कहती हैं, ‘अमृता की पेंटिंग सशक्त हैं।

अमृता को जो सही लगता था, वही करती थीं। वह नए रास्तों पर चलने से डरती नहीं थीं। मैं कहूंगी कि वह फियरलेस और पावरफुल थीं।’

5 साल में पेंटर बन गई थीं अमृता

अमृता शेरगिल जब महज 5 साल की थीं, तभी से उन्हें पेंटिंग से प्यार हो गया था। 8 साल की उम्र में अमृता अपनी फैमिली के साथ शिमला आ गई थीं और यहीं पर उनकी पेंटिंग की तालीम भी शुरू हो गई। 16 साल की उम्र में जब वह वापिस पेरिस गईं तो सफलता जैसे उनके आने का ही इंतजार कर रही थी।

1933 में उनकी पेंटिंग ‘यंग गर्ल्स’ को पैरिस सेलोन में गोल्ड मेडल से नवाजा गया, तब अमृता सिर्फ 19 साल की थीं। जरा सोचकर देखिए, जब आप इस उम्र में थीं तो उस वक्त क्या आप भी अमृता की तरह अपने सपनों को तलाश करने में जुटी थीं? ‘यंग गर्ल्स’ तस्वीर में महिलाओं की शख्सीयत के दो पहलू साफ देखे जा सकते हैं।

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एक दिलचस्प बात ये है कि यंग गर्ल्स में अमृता ने जिन लड़कियों को अपनी तस्वीर में जगह दी है, उनमें से एक उनकी अपनी बहन इंदिरा है। वैसे अमृता अपनी पेंटिंग्स में अपनी बहन इंदु, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को पेंट किया करती थीं। अमृता की कई सेल्फ पोर्टे्स भी हैं। इनमें से एक थी 1934 की टहीशियन वुमन।

अमृता की पेंटिंग्स को सहर जमन कहती हैं, ‘अमृता की पेंटिंग एक तरह से सेल्फ एक्सप्लोरेशन का नमूना थीं। बहुत से लोगों ने उनकी तस्वीरों को स्ट्रॉन्ग, कॉन्फिडेंट और सेन्शुअल पाया।’ अमृता की पेंटिंग में तस्वीरें सीधे दर्शक की ओर नहीं देखती थीं, उनकी तस्वीरों में एक दर्द झलकता था, एक सच्चाई बयां होती थी। अमृता ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था,

 ‘मैं सिर्फ हिंदुस्तान में तस्वीर बना सकती हूं। यूरोप पिकासो, मैटिस, ब्रेक और बहुत से दूसरे पेंटर्स का है। हिंदुस्तान सिर्फ मेरे लिए है।’

जरा सोचिए, यह बात कहते हुए अमृता के चेहरा पर कैसा आत्मविश्वास रहा होगा। इस समय में अमृता की उम्र महज 20-22 साल की थी। अमृता ने जितने जोश में यह बात कही थी, उतना जुनून उनकी शख्सीयत में भी था। बला की खूबसूरत अमृता हमेशा वक्त से आगे रहने वालों में से थीं।

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