दाह संस्कार के बाद कभी न देखें पीछे मुड़कर, नहीं तो हो जायेगा…

16 हिन्दू धर्म संस्कारों में अंतिम संस्कार है दाह संस्कार। मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए अंतिम संस्कार का किया जाना बेहद आवश्यक है। हिंदूओं में मौत के बाद मृत शरीर को आग के हवाले कर दिया जाता है।

आग में जलकर भस्म हो जाने के बाद शरीर पंच तत्व में विलीन हो जाता है।

दाह संस्कार के बाद कभी न देखें पीछे मुड़कर

पुराणों में इस बात का जिक्र किया गया है कि मौत के बाद भी आत्मा का अपने परिवार के सदस्यों, निवास स्थल, प्रिय वस्तुओं पर मोह बना रहता है। फलस्वरूप वह इन्हीं चीजों के आसपास भटकती रहती है।

आपने सुना होगा कि दाह संस्कार करके आते वक्त लोगों को हिदायत दी जाती है कि वे पीछे की ओर मुड़कर नहीं देखें और सीधे चलते रहें। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे की वजह क्या है? आज हम आपको इसके पीछे की वजह के बारे में बताएंगे।

शवदाह कर घर लौटते वक्त पीछे मुड़कर देखने पर आत्मा का अपने परिवार के प्रति मोह टूट नहीं पाता है। इसके साथ ही आत्मा को इस बात का संदेश भी पहुंचता है कि उसके प्रति अभी भी आपका मोह बरकरार है।

इस वजह से कभी भी पीछे मुड़कर देखने की गलती से बचने को कहा जाता है।

जब शव को जलाया जाता है कि तब इसके माध्यम से आत्मा को यह समझाया जाता है कि अब उसका इस संसार से कोई लेना-देना नहीं है। यहां उसका हिसाब पूरा हो चुका है। न उस शरीर से अब उसका कोई संबंध है और न ही उन लोगों से जो कि उसके परिवार के सदस्य है।

उसकी अब एक अलग दुनिया है जहां लौट जाना ही उसके लिए उचित है।

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संसार की माया को त्याग करना आसान नहीं होता, इससे आत्मा को मुक्ति मिलने में कठिनाई होती है, उस पर अगर परिवार का सदस्य या कोई प्रियजन शवदाह कर लौटते वक्त पीछे मुड़कर देखता है तो आत्मा का लगाव उससे कम होने के बजाय और बढ़ जाता है और परलोक गमन करने में उसे कष्ट होता है।

अगर कोई इस गलती को कर बैठता है तो मृतक की आत्मा अपने परिजनों के साथ-साथ पीछे-पीछे वापस आ जाती है।

कभी-कभी वह जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर उसे सताने लगती है। बच्चे या गर्भवती महिलाएं आत्माओं के प्रभाव में जल्दी आ जाते हैं इसलिए श्मशान से इन्हें दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है।

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