उत्तराखंड सरकार ने डेंगू के कहर के बाद स्वाइन फ्लू की चिंता पर दी चेतावनी

उत्तराखंड की सरकार को स्वाइन फ्लू नामक बीमारी की चिंता अभी से होने लगी है। लेकिन स्वाइन फ्लू का अभी तक कोई भी मरीज देखने को नहीं मिला है। सरकार ने अभी से ही चिकित्सा शिक्षा सचिव नितेश झा के साथ-साथ स्वास्थ्य अधिकारियों को हिदायत दी गई है। जिसके लिए अभी से ही तैयारियां तेज हो गई हैं।

उत्तराखंड सरकार

चिकित्सा शिक्षा सचिव नितेश झा ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ डेंगू को लेकर आपात बैठक बुलाई। इस दौरान उन्हाेंने अधिकारियों से कहा कि डेंगू के साथ स्वाइन फ्लू को लेकर भी तैयारियां तेज कर दें। एक निश्चित समय के बाद यह दोनों बीमारियां ज्यादा असर दिखाती हैं। इस साल न सिर्फ डेंगू बल्कि स्वाइन फ्लू का असर भी कुछ ज्यादा होने की संभावना है। ऐसे में इससे निपटने की तैयारियां तेज कर दें। सीएमओ डॉ. एसके  गुप्ता का कहना है इससे निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाइयों के साथ अन्य उपकरण मंगाए जा रहे हैं।

डेंगू मरीजों की जानकारी नहीं दे रहे निजी अस्पताल

देहरादून के निजी अस्पताल अपने यहां भर्ती डेंगू मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं दे रहे हैं। मनमानी का आलम यह है कि वह डेंगू से मौत की जानकारी भी नहीं दे रहे हैं। शनिवार को दो संदिग्ध मरीजों की मौत की जानकारी रविवार को होने पर सचिव चिकित्सा शिक्षा नितेश झा ने सीएमओ को इसकी जांच के आदेश जारी किए हैं।

स्वास्थ्य विभाग में प्रावधान है कि सरकारी या निजी अस्पताल में भर्ती डेंगू मरीज की तत्काल जानकारी विभाग को मुहैया कराई जाए। सरकारी अस्पताल तो इसकी जानकारी विभाग को दे रहे हैं, लेकिन निजी अस्पताल मुहैया नहीं करा रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को सटीक आंकड़ा नहीं मिल पा रहा है कि निजी अस्पतालों में कितने मरीज इससे पीड़ित हैं। चर्चाओं पर यकीन करें तो शनिवार को निजी अस्पताल में डेंगू बुखार से एक महिला और एक नाबालिग की मौत हो गई। लेकिन, मुख्य चिकित्साधिकारी को इसकी सूचना नहीं दी गई है।

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इस पर स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने मुख्य चिकित्साधिकारी को आदेश दिया है कि वे टीमें गठित कर प्रकरण की जांच कराएं। साथ ही इसका भी पता लगाएं कि निजी अस्पतालों में कितने डेंगू मरीज भर्ती हैं? सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि सभी निजी अस्पताल संचालकाें को पत्र लिखा है कि वे अपने अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जानकारी मुहैया कराएं। ऐसा नहीं करने वाले अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पढ़ाई करने गईं नर्सें वापस बुलाई

शहर में विकराल हो रहे डेंगू को लेकर महकमे में बड़ी हरकत नजर आ रही हैं। नर्सिंग की पढ़ाई करने गईं दून अस्पताल की छह नर्सों को दून अस्पताल में ड्यूटी के लिए वापस बुला लिया है। अब आपात स्थिति में ही स्टाफ को छुट्टी मिल पाएगी।

जिले में खासकर रायपुर और आसपास के मोहल्ले और कॉलोनियों में डेंगू तेजी से बढ़ रहा है। जिस संख्या में डेंगू पीड़ित मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं, उसके हिसाब से सरकारी अस्पतालों में संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। अब तक डेंगू के संदिग्ध चार मरीजों की जान जा चुकी हैं। शनिवार को स्वास्थ्य सचिव, प्रभारी स्वास्थ्य सचिव और डीएम ने भी दून अस्पताल में अधिकारियों की बैठक लेकर व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी। साथ ही दून अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान अस्पताल प्रशासन की ओर से उन्हें स्टाफ की कमी और अन्य समस्याएं बताई। अधिकारियों के बजट की कमी न आने देने की बात कहकर राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना और दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को जरूरी व्यवस्थाएं करने को कहा।

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इस पर डॉ. टम्टा ने रविवार को अस्पताल में बच्चों के वार्ड के छह बेड भी डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित किए। साथ ही सोमवार को 15 बेड में भी सभी जरूरी सामान उपलब्ध कराकर उन्हें डेंगू मरीजों के लिए बुक करा दिया जाएगा। अब दून अस्पताल के पांच वार्ड में डेंगू मरीजों के 55 बेड हो जाएंगे। इस बीच, ऐसी स्टाफ नर्स जो बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग की पढ़ाई के लिए चंदरनगर स्थित नर्सिंग कॉलेज गई हैं, उनमें से छह को वापस दून अस्पताल बुला लिया है। एक हफ्ते ड्यूटी देने के बाद वे वापस जाएंगी। फिर रोटेशन में दूसरी स्टाफ नर्स वहां से आएंगी। दून अस्पताल के एमएस डॉ. केके टम्टा ने बताया कि 10 स्टाफ नर्स और 10 वार्ड ब्वॉय की दो माह के लिए दैनिक वेतन पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। साथ ही दो दिन के भीतर सभी डेंगू वार्ड में डेंगू से बचाव और जागरूकता संबंधी बोर्ड भी लगा दिए जाएंगे।

 

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