अनूठी संस्कृति और रीतिरिवाजों के साथ जौनपुर में मनाया गया दुबड़ी का त्यौहार 

रिपोर्ट: सुनील सोनकर

मसूरी: जौनपुर विकासखंड के ठक्कर कुदाऊं गाँव में खुशहाली और समृद्धि के प्रतीक ‘दुबड़ी’ त्योहार शुक्रवार को देर रात को धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान ग्रामीण पारम्परिक वेषभूषा और वाद्य यंत्र, ढोल , दमाऊ के साथ नजर आए।

दुबड़ी का त्यौहार

सामाजिक कार्यकर्ता संजय गुसाईं ने जानकारी देते हुए कहा कि यमुनाघाटी और जौनपुर क्षेत्र अपनी अनूठी संस्कृति एवं रीतिरिवाजों के लिए पुरे प्रदेश में जाना जाता है। भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला दुबड़ी त्यौहार भी जौनपुर का पौराणिक त्यौहार है।

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इसी त्यौहार के पश्चात ही अन्य सभी त्योहारों का आगमन होता है। दुबड़ी के त्यौहार को मनाने की तैयारी स्वछता अभियान से शुरू होती है। दुबड़ी से एक दिन पूर्व गाँव की सभी महिलाएं अपने घरों, आंगनों, पंचायती चैक एवं रास्तों की सामूहिक रूप से साफ़ सफाई करतीं हैं।

 

गाँव के पुरुष और बच्चे गाँव के खेतों में जो भी फसलें होती है उन्हें उखाड़कर लाते हैं और सभी प्रकार की फसलों को गाँव के पंचायती चेक में इक्क्ठा करके एक बड़ा गट्ठर बनाया। गाँव के बुजुर्गों के निर्देशन में उन फसलों के गट्ठर को एक मीटर गहरे खड्ढे में गाढ़ा जाता है। इसी को स्थानीय भाषा में दुबड़ी कहा जाता है। संध्या के समय गाँव की सभी महिलाएं पंचायती चैक में पहुंचकर दुबड़ी की पूजा अर्चना करतीं है और अपने गांव की खुशहाली और समृद्धि के लिए अपने भूमि देवता, कुल व इष्ट देवता की आराधना करती है। इसी बीच गाँव में आए मेहमानों का आदर-सत्कार का कार्यक्रम भी चलता रहता है।

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दुबड़ी के त्यौहार के दिन स्थानीय अनाज झंगोरा व कोणी के आटे को पीसकर उसे पकाकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाई जातीं है। यह दुबड़ी त्यौहार का विशेष पकवान होता है जिसे खांड (चीनी का बुरा) और शुद्ध घी के साथ प्रसाद के रूप में खाया जाता है। सभी लोग एक दूसरे को ककड़ी और मक्की भेंट देते है।

 

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