Top Story शहीद की पत्नी ने लेफ्टिनेंट बनकर रोशन किया राज्य का नाम

रिपोर्ट—करनदीप सिंह
जम्मू। Top Story शहीद की पत्नी ने लेफ्टिनेंट बनकर रोशन किया राज्य का नाम– बेटियां पराया धन होती है इस कहावत को उल्टा साबित कर दिखाया है। जिला साम्बा के गुडा सलाथिया गांव में जन्मी नीरू संब्याल ने, नीरू संब्याल साम्बा के गुडा सलाथिया गांव में एक साधारण परिवार से जन्मी और वहीँ सरकारी स्कूलों में अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर जम्मू यूनिवर्सिटी से एमए, बीएड और एमएड की पढ़ाई की और फिर उसके घर वालो ने उसकी शादी साल 2013 में रविंदर सिंह संब्याल से कर दी।

Top Story शहीद की पत्नी ने लेफ्टिनेंट बनकर रोशन

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जो कि भारतीय सेना में कार्यक्रत था और उनका परिवार जिला साम्बा के ही एक छोटे से गांव बाड़ा में रहता था। दोनों अपना जीवन हंसी ख़ुशी व्यतीत कर रहे थे। एक साल बाद उनके घर में एक बेटी ने जन्म लिया उनकी खुशियों में थोड़ा और इज़ाफ़ा हुआ, नीरू की शादी के तीन साल बाद नीरू की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने नीरू की जिंदगी पलट के रख दी, उनके पति की यूनिट से फ़ोन आया कि रविंदर सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे मानो नीरू और उसके परिवार पर दुखो का पहाड़ ही टूट पड़ा हो।

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नीरू ने बताया कि उसके पति चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़ लिख कर अच्छा मुकाम हासिल करे, नीरू ने बताया कि अपने पति की लाश पहली बार देखने पर ही मैंने उनको बचन दिया था कि मै ही अब इसकी माँ और बाप हूँ और में खुद अपने पैरो पर खड़े होकर इस फ़र्ज़ को निभाऊंगी और शाइन को अच्छी पढ़ाई कराकर एक काबिल महिला बनाऊंगी।

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उसी दिन मैंने अपने मन में ठान लिया था कि में भी सेना में जाऊंगी इसके लिए मुझे काफी दिक्कत आयी, क्यूंकि मुझे नहीं पता था कि सेना में कैसे जाऊंगी और किस रैंक पर इसके लिए मेरे भाई ने काफी मदद की।

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मेरे माता पिता और सास ससुर ने भी काफी प्रोत्साहन दिया और मैंने कभी नहीं सोचा था कि में भी एक दिन सेना में अफसर के तौर पर जाऊंगी और आज मुझे इस बात की काफ़ी ख़ुशी है, वहीँ माता पिता ने गर्व महसूस करते हुए बताया कि जैसे ही हमे यह खबर मिली कि रविंदर नीरू को छोड़ कर इस दुनिया से चला गया उसी दिन से हमे अपनी बेटी की चिंता सताने लगी और फिर भगवान् ने हमे हिम्मत दी, उन्होंने कहा कि यह मेरी बेटी का खुद का फैंसला था।

हमारे समाज में विधवा औरत को इतनी आज़ादी नहीं दी जाती है लकिन फिर भी हमने उस सीमा को लांगा और आजा हमारी बेटी ने सेना में एक अफसर बनकर पूरे गांव पूरे ज़िले का नाम रोशन किया है और महिला सशक्तिकरण की भी एक मिसाल कायम की है !

Top Story शहीद की पत्नी ने लेफ्टिनेंट बनकर रोशन किया राज्य का नाम

जिला साम्बा का गांव गुडा सलाथिया जोकि साम्बा ज़िले से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर है जहाँ के नोजवानो ने सेना वा अर्धसैनिक बलों में भर्ती होकर देश की हर एक जंग में अपनी सेवा दी है और जहाँ तक कि बलिदान भी दिए जिसका जीता जागता सबूत गांव ने दाखिल होते ही बना एक वॉर मेमोरियल है जहा उन शहीदों के नाम लिखे है। जिन्होंने जब जब देश पर संकट आया है। तब तब अपने प्राणो को न्योक्षवर कर देश की रक्षा की है और मुझे इस बात पर भी गर्व है कि मै भी इस गांव की बेटी हूँ !

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