Tokyo Olympics: सोने से नहीं बल्कि इससे बनता है गोल्ड मेडल, जानिये पूरा इतिहास

देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतना ही एक एथलीट का सपना होता है इसलिए वे सालों मेहनत करते हैं। इस मेडल से मान और सम्मान से जुड़ा होता है। फिर चाहे गोल्ड मेडल हो या सिल्वर या फिर ब्रांज। इसका इतिहास काफी पुराना है, परन्तु अगर आपको लगता हैं कि हमेशा से धातु का पदक दिया जाता था, तो आप गलत सोच रहे हैं। फूलों के हार से लेकर पुराने सेल फोन और इलेक्ट्रानिक डिवाइस को रिसाइकिल कर बनाए गई धातु तक काफी लम्बी कहानी है इसके पीछे।

जब ओलंपिक खेलों में पदक देने का शुरू हुई प्रथा

प्राचीन ओलंपिक खेलों के दौरान, जो एथलीट जीतते थे उन्हें मेडल के बजाए ‘कोटिनो’ या जैतून की माला से सम्मानित किया जाता था। इसे ग्रीस में एक पवित्र पुरस्कार माना जाता था। 1896 में, प्राचीन ग्रीस की लंबे समय से खोई हुई प्रथा का एथेंस ओलंपिक खेलों में फिर से जन्म हुआ था। इस पुनर्जन्म के साथ, पुराने लोगों के लिए नई परम्पराओं ने रास्ता बनाया और इस तरह से पदक देने का रिवाज शुरू हुआ। तब गोल्ड मेडल देने की परंपरा नहीं थी। पहले नंबर पर आने वालों को रजत जबकि उपविजेता को तांबा या कांस्य पदक दिया जाता था।

तीन मेडल देने की शुरुवात

1904 के सेंट लुइस खेलों में पहली बार तीन तरह के मेडल देने की शुरुवात हुई, जब मानक स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक का पहली बार उपयोग किया गया। ये धातुएं ग्रीक पौराणिक कथाओं में मनुष्य के पहले तीन युगों का प्रतिनिधित्व करती हैं: स्वर्ण युग – जब पुरुष देवताओं के बीच रहते थे, रजत युग – जहां युवा सौ साल तक रहता था, और कांस्य युग, या नायकों का युग।

ऐसे बनते हैं Gold Medal गोल्डन

जैसे की कहा जाता है कि हर पीली चीज़ सोना नहीं होती, उसी तरह हर गोल्डेन मेडल गोल्ड से बना नहीं होता। सिर्फ उन पर बस एक लेयर चढ़ाई जाती है। IOC के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक गोल्ड मेडल में कम से कम 6 ग्राम सोना होना चाहिए। हकीकत में, यह एक तरह का सिल्वर मेडल होता है जिस पर गोल्ड लेयर होती है।

जब दिया जाने लगा रीसाइकल्ड मेडल

एक ऐसा समय आया जब लोग पर्यावरण को लकर जागरूक होने लगे, तब 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स में मेडल बनाने की नई तकनीक खोजी गई। आयोजकों ने पदक बनाने के लिए रिसाइकलिंग का विकल्प चुना। ये पदक न केवल 30 प्रतिशत रिसाइल की गई सामग्री से बने थे, बल्कि वे जिन रिबन से जुड़े थे, वे 50 प्रतिशत रिसाकल्ड प्लास्टिक की बोतलों से बने थे, जबकि सोना पारा मुक्त था। रियो के नक्शेकदम पर चलते हुए, टोक्यो खेलों के आयोजकों ने भी रिसाइकल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बने पदकों का विकल्प चुना है, जिसमें लैपटॉप और स्मार्टफोन फोन शामिल हैं।

इस ओलंपिक मिलेंगे ये मेडल

इस वर्ष होने वाले टोक्यो ओलिंपिक में पदक 8.5 सेंटीमीटर व्यास के होंगे, जिसमें जीत की ग्रीक देवी नाइक की उड़ती हुई तस्वीर छपी होगी। पिछले वर्षों के विपरीत, इनका उत्पादन सोने, चांदी और कांस्य से किया जाएगा, जिसे जापानी आबादी द्वारा दान किए गए 79, 000 टन से अधिक पुराने सेल फोन और अन्य छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिसाइकल करके निकाला गया है।

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