यह रिपोर्ट खोलेगी सरकार की पोल, इस हद तक हो रहा ‘भविष्य’ से खेल
रिपोर्ट- पुष्कर नेगी
चमोली। सूबे की सरकार भले ही सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने की बात कर रही हो, लेकिन शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों का भविष्य दांव पर है। देवाल ब्लाक के बेराधार गांव के जूनियर हाई स्कूल बमोटिया पिछले 4 सालों से एक ही अध्यापक के भरोसे चल रहा है। विषय अध्यापक ना होने के कारण यहां पर अध्ययनरत 13 बच्चों का भविष्य दांव पर है।
बता दे जूनियर हाई स्कूल बमोटिया पिछले 4 सालों से प्राथमिक विद्यालय के भवन में ही संचालित किया जा रहा है। जूनियर हाई स्कूल बमोटिया के बिल्डिंग को स्वीकृत हुए 4 साल हो गए हैं। इसका बजट लगभग 18 लाख रुपए भी विभाग को प्राप्त हो चुके हैं , लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते अभी तक इसको एनओसी नहीं मिल पाई है। जिसके कारण भवन का निर्माण नहीं हो पाया है।
प्राथमिक विद्यालय के भवन में संचालित होने के कारण छात्र-छात्राओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दुर्गम क्षेत्र का विद्यालय होने के कारण कोई भी यहां आने को तैयार नहीं है। यदि कभी शिक्षक को विभाग या स्वयं के काम से देवाल ब्लॉक जाना पड़ता है तो जूनियर हाई स्कूल के बच्चे प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों के जिम्मे हो जाते हैं।
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अभिभावकों ने कई बार इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो विभाग के अधिकारियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए। ग्रामीणों का कहना है कि बमोटिया तोक दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण कोई अधिकारी यहाँ नही आता है और ना ही सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हम लोगों को मिल पा रहा है।
इस बारे में जब जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) से बात की गई तो उनका कहना था की इस बार अनिवार्य रूप से जूनियर हाई स्कूल बमोटिया में अध्यापक की नियुक्ति की जाएगी। बता दे देवाल ब्लाक के घेस , बलाण, तोरती, मानमती जैसे कई स्कूल अभी भी एक ही अध्यापक के भरोसे चल रहे है।