बाढ़ पीड़ितों को सहायता राशि देने से पहले अधिकारियों ने रखी यह डिमांड

रिपोर्ट- अखिलेश्वर तिवारी

बलरामपुर। एक ओर सरकार बाढ़ पीड़ितों को हर सम्भव मदद देने के लिए लाखो-करोड़ो रुपये खर्च कर रही है वही बलरामपुर में बाढ़ पीड़ितों से बाढ राहत के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। यह अवैध वसूली राजस्व कर्मियों के द्वारा की जा रही है। शिकायत मिलने पर डीएम ने इसे गम्भीर अपराध मानते हुये एडीएम को मामले की जांच सौंपी है।

बाढ़ पीड़ित

हर साल बाढ़ की विभीषिका में अपना सब कुछ गंवा देने वाले बाढ़ पीड़ितों को राजस्व विभाग चूना लगा रहा है। सरकार बाढ़ राहत के नाम पर कृषि निवेश के पैसे ग्रामीणों के खाते में भेजती है। मामला शान्तिनगर और रामगढ मैटहवा गाँव का है। वर्ष 2017 में आयी भीषण बाढ़ ने यहां जमकर तबाही मचाई। फसलें नष्ट हुई और भारी जन-धन की हानि हुई।

सरकार ने बाढ़ पीड़ितो के घाव पर मरहम लगाते हुये कृषि निवेश के रुपये ग्रामीणों के खाते में भेजने के लिये धन आवंटित किया। अब राजस्वकर्मी बाढ़ पीड़ितों के खाते में रुपये भेजने के लिये उनसे अवैध धन की वसूली कर रहे है। 02 जून 2018 को इसी क्षेत्र में आयी भीषण बाढ़ ने फिर एक बार यहाँ के लोगो को तबाह किया लेकिन राजस्वकर्मियों को दया नही आयी। बाढ पीड़ितों का दर्द उन्ही की जुबानी सुन सकते है।

वर्ष 2017 में आयी बाढ़ में कृषि निवेश में हुये नुकसान की भरपाई के लिये तुलसीपुर तहसील में बाढ पीड़ितों के लिय सरकार ने लगभग छ: करोड रुपये आंवंटित किये। लेकिन रजस्वकर्मियों की मनमानी और राहत के लिये अवैध वसूली से बाढ़ पीड़ितो को मदद नही मिल पा रही है। शिकायत मिलने पर डीएम ने इसे गम्भीर अपराध मानते हुये एडीएम को पूरे प्रकरण की जाँच सौपी है।

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बाढ़ पीड़ितों से की जा रही अवैध वसूली की शिकायत के बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। बाढ़ पीड़ितो से की जा रही अवैध धन की वसूली से सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है जिसको देखते हुये जिला प्रशासन ने जाँच के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का मन बना रही है।

 

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