“Pegasus Spyware Case में सरकार का कोई साफ़ स्टैंड नहीं” – सुप्रीम कोर्ट

पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spyware Case) की निष्पक्ष जांच के लिए वरिष्ठ पत्रकार एन राम, सांसद जॉन ब्रिटास और यशवंत सिन्हा समेत कई लोगों ने 15 याचिकाएं दायर की थीं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इस मामले पर अहम आदेश देते हुए कहा है कि एक्सपर्ट कमेटी पेगासस जासूसी मामले की जांच करेगी और इसकी जांच रिपोर्ट 8 हफ्ते के अंदर देगी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी में आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, फ़ारेंसिक एक्सपर्ट, आईटी और तकनीकी विशेषज्ञ होंगे। इस कमेटी की अगुआई जस्टिस आरवी रवींद्रन करेंगे।

Prime Minister of India, Narendra Modi

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि निजता के उल्लंघन की जांच होनी चहिए, इस मामले में केंद्र सरकार का कोई साफ़ स्टैंड नहीं था और कोर्ट सिर्फ यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं?

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहद जरूरी होती हैं, लेकिन निजता के अधिकार में तभी हस्तक्षेप हो सकता है जब राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी हो. जासूसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रहरी के रूप में प्रेस की भूमिका पर गलत प्रभाव डाल सकती है।

Supreme Court of India

वहीं केंद्र सरकार का यह कहना था कि यह मामला सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है और न ही यह ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के हित’ में है। आपको बता दें की अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने यह ख़बर दी थी कि करीब 300 प्रमाणित भारतीय फ़ोन नंबर पेगासस सॉफ्टवेयर के ज़रिये जासूसी के संभावित निशाना थे।

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