शिक्षक दिवस पर विशेष, “डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन” की कुछ बेहतरीन यादें

महान शिक्षाविद, महान दार्शनिक, महान वक्ता, विचारक एवं भारतीय संस्कृति के ज्ञानी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। भारत को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाले महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षकों के सम्मान के रूप में सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है।

1952 मे डा. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन को भारत का उप राष्‍ट्रपति चुना गया और 1962 मे वह भारत के राष्‍ट्रपति बने। डा. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन के जन्‍मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता है। हम आप को आज उनके बारे मे दस ऐसे फैक्‍ट्स बताने जा रहे हैं जो शायद आप नही जानते होंगे।

शिक्षक दिवस पर विशेष, "डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन" की कुछ बेहतरीन यादें

डा. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन ने भारतीय दर्शन को विश्‍व के नक्‍शे मे जगह दी। उन्होंने साफ कहा कि कैसे पश्चिमी दार्शनिकों ने व्यापक संस्कृति से धार्मिक प्रभावों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्‍यवहार किया करते थे। उन्होंने यह भी दावा किया है कि भारतीय दर्शन योग्यता के आधार पर पश्चिमी दुनिया में शब्द दर्शन है।

डा. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णा को 1946 मे यूनस्‍को का अम्‍बेस्‍डर नियुक्‍त किया गया। 1949 मे उन्‍हे सोवियत संघ का अम्‍बेस्‍डर नियुक्‍त किया गया। उन्‍होने भारत की शिक्षा प्रणाली के सुधारों के बारे मे बताया।

1962 मे जब वो भारत के राष्‍ट्रपति के रूप मे चुने गए तो उनके कुछ शिष्‍यों ने उनका जन्‍म दिन मनाने के लिए कहा। इस पर उन्‍होंने जबाव दिया मेरे जन्‍म दिन के स्‍थान पर यह दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाए। जिसके बाद से हर साल पांच सितंबर को डा. सर्वपल्‍ली राधा कृष्‍ण्‍ान का जन्‍म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता है।

साधारण रहन सहन और उच्च विचारों का समन्वय सर्वपल्‍ली राधा कृष्णन का सबसे महत्वपूर्ण गहना था जिसकी वजह से वो गुरुओं के गुरु कहलाए।

डॉ. राधाकृष्णन की ये कुछ खास बातें जो हर किसी को प्रभावित करती थीं-

सिर में सफेद रंग की पगड़ी के साथ सफेद रंग की धोती और कुर्ता पहनना राधाकृष्णन को काफी पसंद था और ज्यादातर वो इसी तरह के लिबास में नजर आते थे। हालांकि उनके कुर्ते हमेशा बंद गले के ही होते थे।

शिक्षक दिवस पर विशेष, "डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन" की कुछ बेहतरीन यादें

भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन केवल 4 से 5 घंटे की ही नींद लेते थे और शुद्ध शाकाहारी खाना खाना पसंद करते थे। राधाकृष्णन पूरे विश्व को एक ही स्कूल मानते थे और जहां से भी उन्हें कुछ सीखने को मिल जाता था वो उसे तुरंत अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते थे।

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उनके अनुसार शिक्षक का काम सिर्फ छात्राओं को पढा़ना ही नहीं बल्कि पढ़ाते हुए उनका बौद्धिक विकास करना भी है। राधाकृष्णन ने पढ़ाई को बच्चों के लिए कभी भी बोझ नहीं बनने दिया। वो पढ़ाई के दौरान बच्चों को कभी -कभी गुदगुदाने वाले किस्से भी सुना दिया करते थे। शिक्षक होने की वजह से उनका धार्मिक दृष्टिकोण अच्छा था और वो भेद -भाव से कोसों दूर रहते थे।

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