12 ज्योतिर्लिंग में से एक ये मंदिर, 17 बार किया जा चुका है नष्ट

सोमनाथ मंदिरमहादेव की महिमा तो अपरंपार है. उनकी महिमा का गुणगान शब्दों में कर पाना मुश्किल है. वैसे तो भोलेनाथ के  कई मंदिर हैं, जहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है. सोमनाथ मंदिर ऐसा ही एक मंदिर है, जिसका इतिहास बेहद खास है. यह मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है. ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में सर्वप्रथम माना जाता है.

भगवान शिव का मंदिर सोमनाथ अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है. सोमनाथ मंदिर को सतयुग में राजा सोमराज ने सोने से, त्रेतायुग में रावण ने चांदी, द्वापरयुग में कृष्णा ने मंदिर और कलयुग में भीमदेव सोलंकी ने पत्थर से बनवाया था.

मंदिर का इतिहास

ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था. इतिहासकार के मुताबिक, सोमनाथ मंदिर को वर्ष 1024 ईसवी में महमूद गजनबी ने तहस-नहस कर दिया था. मूर्ति को तोड़ने से लेकर यहां पर चढ़े सोने-चांदी तक के सभी आभूषणों को लूट लिया था. हीरे-जवाहरातों को लूटकर अपने देश गजनी लेकर चला गया था. महमूद गजनवी के बाद कई मुगल शासकों ने सोमनाथ को खंडित कर लूटपाट की. इसे 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया.

कथा

चंद्र ने दक्षाप्रजापति राजा की 27 कन्याओं से विवाह किया था. चंद्र देव उनमें से रोहिणी नाम की पत्नी से सबसे अधिक प्रेम करते थे. दक्ष ने अपनी बाकी कन्याओं के साथ अन्याय होता देखा तो चंद्र को शाप दे दिया, जिसके बाद से चंद्र घटने और बढ़ने लगा. शाप से विचलित और दुखी चंद्र ने भगवान शिव की पूजा शुरु कर दी. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर शाप को खत्म किया और उन्हें सोमनाथ नाम दिया.

ऐसा माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर ही वह जगह है, जहां श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था. श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे. तब ही शिकारी ने उनके तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख समझकर तीर मारा था. कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया. इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है.

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