नाम से लेकर काम तक के किस्से…24 बरस बाद भी याद आते हैं पंचम दा
मुंबई। आसपास मौजूद छोटी छोटी चीजों में संगीत को खोज निकालने वाले पंचम दा की आज पुण्यतिथि है। ठीक 24 साल आज ही का वो दिन था जब पंचम दा यानी राहुल देव बर्मन इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। 4 जनवरी 1994 को पंचम दा का शरीर हमेशा के लिए पंचतंत्र में विलीन हो गया।
पंचम दा की यादें और वो सुर-ताल जो उन्होंने गानों के जरिए दिए उन्होंने सबके दिल में हमेशा के लिए बसेरा कर
लिया है। उनका खुद का नाम हो या फिल्मों में दिए गाने, सभी के पीछे एक किस्सा और एक कहानी है।
आर डी बर्मन से जुड़ा हर एक दिन, दिल और दिमाग में बसी पुरानी बातों को ताजा करता है। आज पंचम दा की पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनके दिलचस्प किस्सों से रूबरू कराएंगे।
पंचम दा के किस्से-
- कहा जाता है कि बचपन में जब आर.डी. बर्मन रोते थे तो ऐसा लगता था कि वह सरगम का पांचवां सुर लगा रहे हैं। इसलिए एक्टर अशोक कुमार ने इनका नाम पंचम रख दिया था।
- पंचम दा बचपन से ही कलाकार थे। महज 9 साल की उम्र में ही उन्होंने फिल्म ‘फंटूश’ के गाने ऐ मेरी टोपी पलट के आ की धुन कम्पोज की थी, जिसका उनके पिता ने इस्तेमाल भी किया।
- 10 साल की उम्र में उन्होंने गुरु दत्त की फिल्म प्यासा के गाने ‘सर जो तेरा चकराए’ का म्यूजिक कम्पोज किया था।
- आर.डी बर्मन को महमूद ने ब्रेक दिया था। वैसे तो सबसे पहले उन्होंने फिल्म भूत बंगला साइन की थी लेकिन ‘छोटे नवाब’ पहले रिलीज हुई थी।
- काबीलियत और हुनर होने के बावजूद उन्होंने 9 साल तक स्ट्रगल किया।
- पंचम दा अपनी फिल्म के म्यूजिक कम्पोज करने के लिए बहुत इनोवेशन और एक्सपेरिमेंट करते थे।
- उन्होने म्यूजिक कम्पोज करने के लिए चम्मच, ग्लास, स्कूल की डेस्क से लेकर बांस की सीटी तक का इस्तेमाल किया। एक बार उन्हें बारिश की आवाज रिकॉर्ड करनी थी। इसके लिए उन्होंने रात भर अपनी बालकनी में खड़े होकर बारिश की आवाज रिकॉर्ड की थी।
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- पंचम दा ने ही बॉलीवुड में वेस्टर्न और इंडियन म्यूजिक का फ्यूजन इंट्रोड्यूस किया।
- उन्होंने ‘बहारों के सपने’ में ट्विन ट्रैक इफेक्ट इंट्रोड्यूस किया। इसे बाद में फिल्म इजाजत के गानों में भी इस्तेमाल किया गया।
- वह फिल्मफेयर अवार्ड में 18 बार नॉमिनेट हुए। लेकिन महज 3 बार ही अवार्ड उनके नाम हुए। इसमें से एक तो उन्हें मरने के बाद मिला था।
- उन्हें सिर्फ सुर ही नहीं एक्टिंग की भी समझ थी। उन्होंने भूत बंगला, प्यार का मौसम में एक्टिंग भी की थी।
- तीसरी मंजिल के गाने ‘ओ मेरे सोना रे’ के लिए पहली बार इलेंक्ट्रोनिक ऑर्गन का इस्तेमाल हुआ था।
- फिल्म ‘किताब’ के एक गाने का म्यूजिक निकालने के लिए उन्होंने स्कूल डेस्क का इस्तेमाल किया था।
- फिल्म ‘सोलहवां साल’ केगाने ‘है अपना दिन तो आवारा’ में खुद पंचम दा ने माउथ ऑर्गन प्ले किया था। हालांकि इसे हेमंत कुमार के गाया था।
- उनकी काबीलियत पर हर किसी को इतना ज्यादा भरोसा था कि बेटों की लॉन्चिंग के दौरान सुनील दत्त, राजेन्द्र कुमार और धमेंद्र उनके पास गए थे। अंत में आर.डी ने ही फिल्म रॉकी, बेताब और लव स्टोरी का यादगार म्यूजिक इन्होंने ही दिया।
- इनकी वजह से ही गुलजार, आशा और लता को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।