हमारा भारत…. 112 लूट और 185 हत्याओं के आरोपी से लोग मांगते है वरदान
आगरा। चंबल के डकैत विश्व विख्यात हैछ 1939 से 1955 तक चंबल के बीहड़ में दस्यु सरगना डाकू मान सिंह की तूती बोलती थी। यूं तो डकैत मान सिंह पर लूट के 112 और हत्या के करीब 185 मामले दर्ज है लेकिन गरीबों में डाकू मान सिंह की छवि रॉबिन हुड की तरह ही थी।
मजबूर और कमजोर लोगों को हक दिलाने के लिए मान सिंह ने जरुर खूनी खेल खेले। लेकिन उसने कभी किसी असहाय को नहीं सताया। कहते हैं कि उसने जीवन में कभी किसी महिला का अपहरण नहीं किया और ना ही किसी बच्चे की हत्या की।
बताया जाता है कि डाकू मान सिंह के जमीन पर साहूकारों ने कब्ज़ा कर लिया था। उस वक़्त डाकू बनने की अधिकतर घटनाएं जमीन पर कब्जा किए जाने के कारण ही होती थी। जमीन के अवैध कब्जे को छुड़ाने के लिए मान सिंह ने भरपूर कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
जिसके बाद मानसिंह ने जमीन वापस लेने के लिए, जुल्म ढाने वालों के खिलाफ हथियार उठाने की ठानी और यहीं से मान सिंह के बागी बनने का सफर शुरू हुआ। डकैत मान सिंह ने 17 डाकुओं के साथ मिलकर एक गिरोह बनाया। जिनमें अधिकतर परिवार के लोग शामिल थे। इस दल में उसके भाई और भतीजे भी जुड़ गए। कहते हैं कि डाकू मान सिंह के नेतृत्व में चल रहा ये दल महिलाओं की बड़ी इज्जत करता था। वे उनपर आंच नहीं आने देते थे।
शायद यही वजह है कि आज भी डाकू मानसिंह तमाम लोगों के दिल में जिंदा है और आगरा शहर से करीब 85 किमी दूर बीहाड़ इलाके के खेड़ा राठौर गांव में डाकू मान सिंह का मंदिर हैबताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1985 में डाकू मान सिहं के पुत्र तहसीलदार सिंह ने कराया था। इस मंदिर मे डाकू मान सिंह और उनकी पत्नी रुकमणी की मूर्ति लगी है। जहां रोजाना पूजा और आरती की जाती है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर- दूर से लोग यहां आते है और बीहड़ में बने इस मंदिर की लोगों मे खासी आस्था है।
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सन 1955 में मध्यप्रदेश के भिंड में एक एनकाउंटर में मान सिंह मारा गया। लेकिन यूपी के इस गांव में आज भी डाकू मान सिंह याद किये जाते है। उनकी इतनी लोकप्रियता थी कि 1971 में डाकू मान सिंह के नाम से फिल्म भी बनी।