स्कूलों में मोदी की फिल्म दिखाने के कथित आदेश पर विपक्ष खफा, जानें क्या है फिल्म की कहानी

मुंबई। महाराष्ट्र में विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी फिल्म ‘चलो जीते हैं’ को अगले सप्ताह राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर जारी एक तथाकथित आदेश की आलोचना की है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने इसे मोदी को ‘अवतार’ बनाए जाने का प्रयास करार दिया है, जबकि महाराष्ट्र प्रिंसिपल एसोसिएशन (एमपीए) ने स्पष्ट किया है कि उन्हें इस तरह का कोई आधिकारिक आदेश नहीं प्राप्त हुआ है।

नरेंद्र मोदी

व्हाट्सएप पर कई सरकारी स्कूलों को प्राप्त कथित आदेश के अनुसार, उन्हें इस फिल्म को प्राथमिक या माध्यमिक विद्यार्थियों को 18 सितंबर को सुबह 10 बजे से तीन बजे तक के बीच दिखाना आवश्यक है।

इस बीच, महाराष्ट्र शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन रावत ने कहा, “केवल एक फिल्म ही क्यों? सरकार मोदी पर पूरा पाठ्यक्रम शुरू कर सकती है। उनके नाम पर कॉलेजों में पुरस्कार दे सकती है। उसके बाद सभी विश्वविद्यालयों के नाम बदल सकती है, ताकि यह साबित कर सके कि मोदी एक अवतार हैं।”

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राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि कथित कदम लोगों के बीच प्रधानमंत्री की गिरती लोकप्रियता को रोकने के लिए है और स्कूलों में फिल्म दिखाने  के इस तरह के कदम का कड़ाई से विरोध किया जाना चाहिए।

एमपीए के अध्यक्ष प्रशांत रेडिज ने कहा कि इस तरह का कोई कदम अत्यंत निंदनीय है और यदि उन्हें कोई आधिकारिक आदेश प्राप्त होता है तो वे (एमपीए) इसका विरोध करेंगे।

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उन्होंने कहा, “यह योजना गणेशोत्सव के बीच बनाई जा रही है, जब विद्यार्थी शायद ही स्कूल जाते हैं। इससे बड़ी बात यह कि तथाकथित आदेश केवल व्हाट्सएप और अन्य मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। अगर सरकारी स्कूलों के शिक्षक इसे चुनौती देते हैं तो उन्हें या तो निलंबित कर दिया जाता है या फिर उनका तबादला कर दिया जाता है।”

मंगेश हदवले द्वारा निर्देशित 32 मिनट की यह फिल्म पिछले कुछ महीनों में राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्रियों और शीर्ष सरकारी अधिकारियों द्वारा देखी जा चुकी है। इसके अलावा कुछ निजी टेलीविजन चैनलों पर यह 29 जुलाई को प्रसारित की जा चुकी है।

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