‘एसएससी में भ्रष्टाचार रोकने का मोदी सरकार का इरादा नहीं’

नई दिल्ली। युवा हल्लाबोल आंदोलन ने मोदी सरकार द्वारा एसएससी के चेयरमैन असीम खुराना को पद से हटाने के बजाए एक वर्ष का कार्य विस्तार देने के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। केंद्र सरकार ने इस बाबत एसएससी के नियमों में संशोधन कर चेयरमैन पद के लिए अधिकतम आयु सीमा को 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष भी कर दिया है।

एसएससी

कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के खिलाफ हुए देशव्यापी आंदोलन में छात्रों के आरोप और आक्रोश के केंद्र में चेयरमैन असीम खुराना थे। आंदोलनकारी युवाओं की मांग थी कि चेयरमैन को तुरंत हटाया जाए। लेकिन 62 वर्ष की आयु पूरी हो जाने के कारण उनका कार्यकाल मई महीने में समाप्त होने वाला था।

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स्वराज इंडिया ने एक बयान में कहा है कि एसएससी के खिलाफ चले देशव्यापी आंदोलन के दौरान हर दिन खुराना ऊलजलूल बयान देते रहते थे। पहले तो अपनी कोई भी गलती या कमी मानने से ही साफ इनकार कर दिया, फिर कहा कि आंदोलनकारी छात्र किसी राजनीतिक पार्टी से प्रेरित और कोचिंग संस्थान द्वारा प्रायोजित हैं।

उसके बाद कहा कि टेक्निकल ग्लिच हो गया, फिर कहा कि कुछ गड़बड़ियां तो हुई हैं, फिर कहा कि सीबीआई जांच के लिए पर्याप्त सबूत हैं। इस तरह और भी कई बयानों और कार्रवाई के कारण चेयरमैन असीम खुराना पर से देशभर के छात्रों का विश्वास उठ चुका है।

केंद्र सरकार के फैसले पर युवा नेता अनुपम ने कहा, “एक संस्थान के तौर पर कर्मचारी चयन आयोग में आज छात्रों का भरोसा नहीं है और इस अविश्वास के अहम किरदार खुद चेयरमैन ही रहे हैं। ऐसे में आयोग में युवाओं का विश्वास बहाल करने के लिए आवश्यक था कि आंदोलन की मांगों को माना जाए, एसएससी में सुधार किए जाएं और चेयरमैन एवं प्राइवेट वेंडर सिफी को तुरंत हटाया जाए। लेकिन यह देखकर अत्यंत दुख होता है कि सरकार युवाओं की जायज मांगों के प्रति इतनी गम्भीर और असंवेदनशील है।”

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अनुपम ने कहा है, “इन परिस्थितियों में आंदोलन की जायज मांगें मानना तो दूर, मोदी सरकार ने असीम खुराना के कार्यकाल को और बढ़ा दिया, वह भी नियमों में बदलाव करके। यह निर्णय देशभर के युवाओं को चिढ़ाने जैसा है, बेरोजगारी की गंभीर समस्या का मजाक बनाने जैसा है और मोदी सरकार की गंभीरता को भी उजागर करता है।”

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