फंड जुटाने के लिए 1 खरब रुपये का विनिवेश कर सकती है मोदी सरकार

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार अब राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए 15.7 अरब डॉलर यानी 1 खरब रुपये की रकम सरकारी अचल संपत्तियों को बेचकर जुटाने की तैयारी में है। केंद्र सरकार की ओर से इस घाटे को नियंत्रण में रखने व आम चुनाव से पहले सामाजिक योजनाओं में बड़े पैमाने पर खर्च कर मतदाताओं को लुभाने के लिए सरकार फैसला लें सकती है।

मोदी सरकार

देश के दिग्गज अर्थशास्त्रियों की मानें तो इस साल बड़े पैमाने पर विनिवेश करने के बाद वित्त मंत्रालय 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए फाइनेंशियल इयर में भी बड़े पैमाने पर विनिवेश का पप्रारूप रख सकती है।

सरकार के इस कदम से बजट तक विनिवेश के जरिए 725 अरब रुपये जुटाने में मदद मिलेगी। पिछले एक दशक में सरकार के पास यह पहला मौका होगा,  जब भारत विनिवेश के लक्ष्य से आगे निकल जाएगा।

वहीं जीएसटी लागू होने के बाद से टैक्स कलेक्शन में कमी होने के चलते सरकार ने इस फाइनेंशियल इयर में सरकारी कंपनियों में विनिवेश की नियमों में तेजी से बदलाव किया है।

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गौरतलब है कि हाल ही में ओएनजीसी ने 369 रुपये में एचपीसीएल के शेयरों को खरीदने पर सहमति दी है। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि ओएनजीसी और एचपीसीएल के बीच इसी महीनें डील हो सकती है।

क्या होता है विनिवेश

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों अथवा उपक्रमों में सरकारी हिस्से दारी को बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। दरअसल, इस प्रक्रिया के तहत सरकार घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र की उन सभी कंपनियों या उपक्रमों की कुछ हिस्सेकदारी को शेयर या बांड के रूप में बेच देती है।

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इस नियम के तहत मिलने वाले धन का उपयोग सरकार या तो उस कंपनी को बेहतर बनाने में करती है या किसी अन्यक दूसरी योजनाओं में इसको लगाती है।

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