आलोचकों को मोदी ने दिया दो टूक जवाब, कहा- हमारे नजरिए से देखो तो नहीं है कोई भेदभाव
चेन्नई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को तमिलनाडु समेत दक्षिणी राज्यों के उन आरोपों को खारिज कर दिया है कि 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित संदर्भ शर्ते भेदभाव भरी हैं तथा इससे उन राज्यों को नुकसान होगा, जिन्होंने जनसंख्या पर काबू प्राप्त किया है।
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उन्होंने यहां कैंसर संस्थान की इमारत (डब्ल्यूआईए) का उद्घाटन करते हुए कहा, “पिछले कुछ दिनों से निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा एक मुद्दा उठाया गया है… 15वें वित्त आयोग के टीओआर के बारे में आधारहीन आरोप लगाए जा रहे हैं कि कुछ खास राज्यों के प्रति यह भेदभावकारी है।”
मोदी ने कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे आलोचकों ने एक चीज पर ध्यान नहीं दिया। केंद्र सरकार ने वित्त आयोग को यह सलाह दी है कि उन राज्यों को प्रोत्साहन दे, जिन्होंने आबादी नियंत्रण पर काम किया है। इससे तमिलनाडु जैसे राज्यों को निश्चित रूप से फायदा होगा, जिन्होंने आबादी नियंत्रण के लिए बहुत ही प्रयास, संसाधन और ऊर्जा खर्च किया है।”
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उन्होंने कहा कि पहले यह मामला नहीं था।
दक्षिणी राज्यों का कहना है कि वित्त आयोग का टीओआर आबादी बढ़ाने वाले राज्यों के पक्ष में है, जबकि दक्षिणी राज्यों ने अपनी आबादी पर काबू पाने में सफलता प्राप्त की है।
इस मामले को सबसे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उठाया। उसके बाद भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के सहयोगी से विरोधी बने आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्राबाबू नायडू ने इसे उठाया।
केरल के वित्तमंत्री थॉमस इसाक ने मंगलवार को दक्षिणी राज्यों के वित्तमंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पुद्दुचेरी के प्रतिनिधि शामिल हुआ और उन्होंने टीओआर को ‘संघवाद के लिए खतरा’ करार दिया।
मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार सहकारी संघवाद के लिए प्रतिबद्ध है।
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