सुखोई और ब्रह्मोस के ‘खतरनाक कॉम्बिनेशन’ से दुश्मनों के दांत खट्टे करेगा भारत, हुआ सफल परीक्षण

दुश्मन देशों की बढ़ती ताकतोंनई दिल्ली। दुश्मन देशों की बढ़ती ताकतों से निपटने के लिए भारत भी लगातार अपने रक्षा-क्षेत्र को मजबूत करने में लगा हुआ है और इसी दिशा में भारत को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। दरअसल बुधवार को सुखोई फाइटर प्लेन के जरिए दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का फायर परीक्षण किया गया जो पूरी तरह से सफल रहा। हांलाकि इस परीक्षण के लिए हल्के ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किया गया।

यह परीक्षण भारतीय वायुसेना के सुखोई-30-एमकेआई लड़ाकू विमान के जरिए किया गया। जिसमें भारत के रक्षा क्षेत्र को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। यही नहीं भारत इसी के साथ पहला ऐसा देश बन गया है जिसके रक्षा बेड़े में समुद्र, जमीन और हवा तीनों से ही चलाई जा सकने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें शामिल हैं। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए इस विश्वरिकॉर्ड के बारे में जानकारी दी।

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रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी करते हुए बताया कि इस सफल परीक्षण के दौरान मिसाइल को सुखोई-30-एमकेआई विमान के फ्यूज़लेज से गिराया गया। जिस दौरान दो चरणों में काम करने वाला मिसाइल का इंजन चालू हुआ और वह बंगाल की खाड़ी में स्थित अपने टारगेट की तरफ बढ़ गई। ब्रह्मोस मिसाइल का यह परीक्षण इस लिहाज से भी भारत और दुनिया के लिए खास है क्योंकि हाल ही में चीन और पाकिस्तान दोनों ही पड़ोसी देशों से तनातनी का माहौल बना हुआ है।

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस मिसाइल का वजन 2.4 टन था, जबकि असल में इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का वजन 2.9 टन होता है। इसके साथ ही मंत्रालय का यह भी कहना है कि अब ब्रह्मोस को समुद्र, हवा और जमीन कहीं से भी चलाया जा सकता है और इसी के साथ भारत के पास युद्ध की स्थिति में बेहद अहम क्रूज़ मिसाइल ट्रायड पूरा हो गया है।

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