अमेरिका की अनसुनी करके भारत ने रूस से कर लिया मिसाइल सौदा

नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के बाद शुक्रवार को दोनों देशों ने बहुप्रतीक्षित ‘एस-400 ट्रियंफ’ हवाई रक्षा प्रक्षेपास्त्र प्रणाली के लिए समझौते को अंतिम रूप दे दिया।

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बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, “सतह से लंबी दूरी तक हवा में वार करने वाली ‘एस-400 प्रणाली’ भारत को देने के समझौते का दोनों देशों ने स्वागत किया।”

बयान के अनुसार, दोनों देशों ने सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है। दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और लाभ का पुराना इतिहास रहा है।

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बयान के अनुसार, “दोनों देशों ने सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग की वर्तमान परियोजनाओं की उल्लेखनीय प्रगति पर संतोष प्रकट किया और उन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीकी उपकरणों के संयुक्त अनुसंधान और संयुक्त उत्पादन की सकारात्मक गति को स्वीकार किया।”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार का कानून प्रभावी होने के बाद ‘एस-400’ मिसाइल सौदे पर कई कयास लगाए जा रहे थे। अमेरिकी कानून – ‘प्रतिबंध अधिनियम के जरिए अमेरिका विरोधी देशों का सामना करना’ (सीएएटीएसए) जनवरी में प्रभावी हो गया था।

यह कानून रूस, ईरान और उत्तर कोरिया की रक्षा कंपनियों से व्यापार करने वाले देशों को निशाना बनाता है।

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