यूके में इंडियन ने दिखाया दम, सूरज की रौशनी से बनेगा ईधन, होगा घर का हर काम

बेंगलुरू: मानव को जितनी ऊर्जा की खपत की जरूरत एक साल में होती है उतनी ऊर्जा सूरज की रौशनी से महज एक घंटे में मिलती है। मगर ऊर्जा के इस नैसर्गिक उपहार को व्यावहारिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने की युक्ति का विकास मानव के लिए एक चुनौती रही है।

सूरज की रौशनी

यूके स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर में भारतीय मूल के वैज्ञानिक गोविंदर सिंह पवार की अगुवाई में एक नए शोध में सौर ईंधन के लिए आशा की एक किरण जगी है।

‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ नामक जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं की एक टीम ने सूर्य के प्रकाश का इस्तेमाल करके पानी से इसके घटक तत्व हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग-अलग करने की एक नई पद्धति विकसित की है।

इस हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है जो कि रोजमर्रा की बिजली खपत के लिए घरों व वाहनों में काम आ सकता है।

यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण पद्धति से हाइड्रोजन ईंधन पैदा की जा सकती है। इससे न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम करने में बड़ी मदद मिलेगी बल्कि यह ऊर्जा का भी अनंत स्रोत साबित होगा।

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