Holi 2021 : आइए जानें ब्रज और अयोध्या की होली में अंतर, रंगभरी एकादशी पर निकलता है जुलूस

राम मंदिर के निर्माण के साथ इस साल रामलला के मंदिर में होली के पर्व व रंगभरी एकादशी पर विशेष पूजन किया जाएगा। आयोध्या के मंदिरों में भगवान राम की मर्यादा प्रधान शैली पर आधारित होली का पर्व पूरी परंपरा और पालन के साथ मनाया जाएगा। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रधान पुजारी सत्येन्द्र दास के मुताबिक आयोध्य की होली और मथुरा की होली में बहुत अंतर है। अयोध्या में प्रभु राम के विग्रहों को रंग कर होली की शुरुआत की जाती है। जिसमें महिलाएं हिस्सा नहीं लेती हैं। वहीं, देखा जाए तो मथुरा व वृंदावन की होली लीला प्रधान होती है। जिसमें महिलाएं गोपियों के स्वरूप में लीला बिहारी से होली खेलने के विविध रूप में अपनाती है। इसमें लट्ठमार होली भी शामिल है।

विशेष पकवान के लगेंगे भोग
होली और रंगभरी एकादशी के पर्वों पर राम लला मंदिर विशेष पकवान और फलाहारी का भोग लगेगा। श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाएगा। होली के दिन राम लला को अबीर या रंग लगा कर लगातार पूजा और आरती की जाएगी। पूड़ी-कचोड़ी, खीर-मिठाई और सब्जी-पेड़ा आदि का भोग लगेगा और साथ ही प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाएगा।

बसंत पंचमी से होली शुरू
अयोध्या संत समाज के अध्यक्ष कन्हैया दास बताते है कि अयोध्या की होली परंपरागत शैली में होती है। खास तौर पर मंदिरों में जिसमे संतों द्वारा रचित होली गीत गाए जातें हैं और अबीर गुलाल से होली खेली जाती है। मथुरा की होली कृष्ण लीलाओं की प्रधानता से लिप्त रहती है। मथुरा-वृंदावन की होली वैश्व संपन रहती है। जबकि आयोध्य में उत्सव उतना वृहद और भव्य आयोजित न होकर परंपरागत तरीके से मनाई जाती है। हालांकि आयोध्य में होली का पर्व बसंत पंचमी तक चलता है।

रंगभरी एकादशी को निकलता है जुलूस
पुजारी सत्येन्द्र दास बताते कि काफी समय तक उनका प्रवास हनुमानगढ़ी में रहा। वहां वर्षों से हनुमानगढ़ी में रंगभरी एकादशी का उत्सव मनाया जाता है। पवन पुत्र को आयोध्य का रक्षक मान कर उनसे मंदिरों के संत महंत होली खेलते हैं। होली के उत्साह में अबीर और गुलाल उड़ाते हुए संत व नागा साधुओं का जुलूस निकलता है। उनका जुलूस मुख्य मार्गों के मंदिरों से होकर सरयू घाट जाकर पांच कोस की परिक्रमा करता है। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है, जिसकी तैयारी हनुमानगढ़ी मंदिर में चल रही है।

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