लोकतंत्र व समाज को मजबूती दे सकते हैं उद्यमी : राष्ट्रपति

लोकतंत्रथाणे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि आर्थिक व सामाजिक लोकतंत्र के बगैर राजनीतिक लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता है और इसे उद्यमिता और वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर लोगों के माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने यहां रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी की ओर से आयोजित आर्थिक लोकतंत्र सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कहा कि वंचितों की आर्थिक दशा में सुधार की जरूरत है।

सबका साथ, सबका विकास और सबका सम्मान, सबका उत्थान के तहत कई पहल की गई हैं जिनका मकसद उद्यमिता के जरिये लोकतंत्र को मजबूत करना है।”

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उन्होंने कहा, “ऐसे कार्यक्रमों का एकमात्र लक्ष्य है कि आर्थिक व सामाजिक लोकतंत्र में मजबूती आए। विचार यह है कि अगर कोई वास्तव में किसी की मदद करना चाहता है तो उसे वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।”

कोविंद ने कहा कि उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना सिर्फ सरकार जिम्मेदारी नहीं हो सकती है। शैक्षणिक संस्थानों, निजी क्षेत्र के बैंकों और एनजीओ, सबको ऐसा माहौल बनाने में मदद करनी चाहिए जिसमें निजी उद्यम को प्रोत्साहन मिल सके।

उन्होंने कहा, “साथ मिलकर हमें एक ऐसी संस्कृति विकसित करनी चाहिए जिसमें स्वरोजगार का चयन महज इसलिए न किया जाए कि कहीं नौकरी नहीं मिली। रोजगार की तलाश करने वाला बनने के बदले रोजगार देने वाला बनने का विचार पैदा होना चाहिए।”

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अवसरों के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में चार फीसदी खरीद अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के उद्यमियों से करना अनिवार्य कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार की जनधन स्कीम से देश के तीन करोड़ लोगों का बैंकों में खाता खुलवाना संभव हुआ, जिनमें 52 फीसदी महिलाएं हैं।

बाद में राष्ट्रपति उत्तरी मुंबई स्थित गोरई गए, जहां उन्होंने दुनिया के सबसे विशाल पगोडा, विपश्यना ग्लोबल पगोडा में दूसरे धम्मालय साधना केंद्र की आधारशिला रखी।

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