SC ने PMLA के विभिन्न प्रावधानों की वैधता रखी बरकरार, मनी लॉन्ड्रिंग में ED की गिरफ्तारी मनमानी नहीं

Pragya Mishra

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा है।धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच इकट्ठी हुई थी।

बता दें कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय बुधवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला देने के लिए तैयार है।यह आदेश न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ देगी।15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उसका फैसला लगभग तैयार है।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कार्ति चिदंबरम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जैसे प्रमुख नाम मामले में याचिकाकर्ताओं में शामिल थे।उनकी याचिकाओं ने जांच और समन शुरू करने की प्रक्रिया की अनुपस्थिति सहित कई मुद्दों को उठाया, जबकि आरोपी को प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट की सामग्री से अवगत नहीं कराया गया था। मुफ्ती ने धारा 50 के संवैधानिक अधिकार और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के किसी भी आकस्मिक प्रावधान को चुनौती दी थी।

बता दें कि पीएमएलए की धारा 50 ‘प्राधिकरण’ यानी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति को सबूत देने या रिकॉर्ड पेश करने के लिए बुलाने का अधिकार देती है। समन किए गए सभी व्यक्ति उनसे पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने और ईडी अधिकारियों द्वारा आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं, ऐसा न करने पर उन्हें पीएमएलए के तहत दंडित किया जा सकता है।हालांकि, केंद्र ने पीएमएलए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था।

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