ममता बनर्जी को HC से एक और झटका, CBI जांच पर दी सहमति 

विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बंगाल में हुई हिंसा पर ममता बनर्जी को लगा बड़ा झटका। कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस आई पी मुखर्जी ने हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्णय पर अपनी सहमति व्यक्त की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग द्वारा गठित समिति के पास पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश के तहत ही जांच करने और एकत्र किए गए तथ्यों को पेश करने का अधिकार था।

दिल्ली दौरे से पहले ममता का बड़ा दांव, पेगासस जासूसी मामले पर किया ये फैसला  - West Bengal CM Mamata setting up inquiry commission on Pegasus before  leaving for delhi ntc - AajTak

न्यायमूर्ति मुखर्जी ने जनहित याचिकाओं पर पीठ द्वारा पारित फैसले से सहमति जताते हुए कहा, ”समिति के खिलाफ दुराग्रह से ग्रसित होने के आरोप में दम नहीं है क्योंकि अदालत ने न केवल समिति की रिपोर्ट पर विचार किया बल्कि उसके बाद अधिवक्ताओं के तर्क और दलीलों पर भी गौर किया। जनहित याचिकाओं में चुनाव बाद हुई कथित हिंसा की स्वतंत्र जांच कराने तथा पीड़ितों को मुआवजा देने का अनुरोध किया गया था।”

हाईकोर्ट की पांच जजों वाली पीठ ने दुष्कर्म, दुष्कर्म की कोशिश, हत्या जैसे अपराधों की सीबीआई जांच तथा बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के अन्य मामलों की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठन के भी आदेश दिए हैं।

विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हुई कथित हिंसा की जांच सीबीआई से कराने के फैसले के विरोध में याचिकाकर्ता वकील अनिंद्य सुंदर दास ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि मैंने यह प्रतिवाद इसलिए दायर किया है क्योंकि मैं नहीं चाहता मुझे सुने बिना कोई भी निर्णय मेरे खिलाफ पारित किया जाए। 

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा पर कहा कि हिंसा लोकतंत्र के खिलाफ है। इसकी लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। हमारी संस्कृति में हिंसा कोई स्थान नहीं रखती है। 

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