परिवार को एक करना नहीं बल्कि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल को दिए ऑफर का यह है कारण

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की ओर से चाचा शिवपाल और उनकी पार्टी को लेकर दिये गये बयान की इन दिनों काफी चर्चाएं हो रही हैं। अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को अपनी सरकार बनने पर कैबिनेट मंत्री बनाने और जसवंतनगर में उनके मुकाबले किसी को भी न उतारने की बात कही थी। उनकी यह कोशिश परिवार को एक करने की कम कहीं न कहीं परिवार के परंपरागत वोटों को सहेजने की है।

हालांकि कहीं न कहीं शिवपाल यादव भी भतीजे अखिलेश के इस रुख को समझ चुके हैं और उन्होंने इस प्रस्ताव पर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। हालांकि इन सब के बीच बीजेपी का विजय रथ रोकने के लिए नए गठबंधनों के संकेत जरूर मिल रहे हैं। इन गठबंधनों का स्वरूप और समीकरण किस तरह का होगा इस पर अभी भी संसय है।

उपचुनाव के नतीजे आने के बाद अखिलेश यादव का यह बयान और बसपा सुप्रीमो की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बदलने की पहल ने यह जरुर साफ कर दिया है कि दोनों ही विपक्षी दलों में अकुलाहट तेज है। इसी बीच अखिलेश यादव पार्टी औऱ परिवार के परंपरागत वोट के बिखराव को रोकना चाह रहे हैं जिसके चलते उन्हेोंने यह पहल की है। तो वही बसपा चीफ मायावती भी आगामी चुनाव में अति पिछड़ों को साथ जोड़कर ही आगे चलना चाहती हैं।

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