
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को शुक्रवार को दो पासपोर्ट मामले में एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए सात साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई, साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
दो PAN कार्ड मामले में पहले से ही सात साल की सजा काट रहे अब्दुल्ला के लिए यह तीसरी बड़ी सजा है, जिससे उनके सियासी करियर पर एक और गहरा प्रहार लगा है। सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए अब्दुल्ला को बचाव में 19 गवाह पेश करने के बावजूद अभियोजन के मात्र पांच गवाहों के बयानों ने उन्हें दोषी साबित कर दिया।
कोर्ट ने 412 पेजों के विस्तृत फैसले में स्पष्ट किया कि अब्दुल्ला ने अपने पिता आजम खां के प्रभाव का इस्तेमाल कर गलत जन्मतिथि के साथ दो पासपोर्ट बनवाए, जो चुनाव लड़ने और अन्य लाभ के लिए इस्तेमाल किए गए। 2019 में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना द्वारा सिविल लाइंस थाने में दर्ज इस एफआईआर में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) और पासपोर्ट एक्ट की धारा 12 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
अभियोजन पक्ष ने क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी नसीम अहमद, वादी आकाश सक्सेना, सेंट पॉल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य मनोज पाठक, सिपाही अखिलेश कुमार और एसआई लखपत सिंह को गवाह बनाया। इनकी गवाही में साबित हुआ कि अब्दुल्ला के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है, जबकि पासपोर्ट नंबर Z-4307442 (10 जनवरी 2018 को जारी) में 30 सितंबर 1990 अंकित है।
इस विरोधाभास का इस्तेमाल उन्होंने विदेश यात्राओं, व्यापारिक कार्यों और पहचान पत्र के रूप में किया। बचाव पक्ष ने राजनीतिक रंजिश का हवाला देते हुए 19 गवाह पेश किए, जिनमें अखिलेश कुमार, जफरुद्दीन उर्फ जफर खां, आसिम खां, हरज्ञान सिंह, जावेद खां, जाहिद खां, खालिज अली, जुबैर खां, आसिफ अली, अनवार खां, जकी अली जाफरी, फरहान अली, जमीर अहमद, तनवीर फात्मा, अब्दुल करीम खां, डॉ. रंजीत कुमार और दिलीप शंकर आचार्य शामिल थे। लेकिन कोर्ट ने बचाव की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी का आपराधिक इतिहास लंबा है, इसलिए कड़ी सजा जरूरी है।
अभियोजन अधिकारी स्वदेश शर्मा और वादी के वकील संदीप सक्सेना की पैरवी ने केस को मजबूत किया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मुकदमे को रद्द करने की याचिका खारिज कर चुकी है, जिसके बाद सुनवाई तेज हुई। अब्दुल्ला ने 2017 में स्वार विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन जन्मतिथि हेरफेर के कारण हाईकोर्ट ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी। छजलैट प्रकरण में भी सजा मिली, जिससे उनकी विधायकी दो बार गई। एमटेक पूरा करने के बाद सियासत में उतरे अब्दुल्ला के खिलाफ कुल 40 मामले लंबित हैं, जबकि आजम खां के 77 केस कोर्ट में विचाराधीन हैं।
यह सजा अब्दुल्ला के लिए चौथा दोषसिद्धि का मामला बन गया है, जो उनके पिता के रसूख के दम पर सियासी उड़ान भरने की कोशिश को झटका देगी। रामपुर जेल में बंद पिता-पुत्र की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।




