
2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की उत्तर प्रदेश इकाई एक बड़े रणनीतिक फैसले की ओर बढ़ रही है। करीब डेढ़ साल से चली आ रही राज्य अध्यक्ष की नियुक्ति की चर्चा अब तेज हो गई है। हाल ही में 98 संगठनात्मक जिलों में से 84 के जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ कोरम पूरा हो चुका है, जिससे प्रदेश अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया को गति मिलने की उम्मीद है।
राजनीतिक हलकों में दावा किया जा रहा है कि BJP सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले की काट निकालने के लिए ऐसा चेहरा चुन सकती है, जो न सिर्फ चौंकाने वाला हो, बल्कि जातिगत समीकरणों को भी मजबूत करे। सूत्रों के हवाले से खबर है कि ब्राह्मण या महिला उम्मीदवार को कमान सौंपी जा सकती है, और इस रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का नाम सबसे ऊपर है।
BJP ने अब तक घोषित 84 जिलाध्यक्षों में 45 सवर्ण, 32 OBC और 7 SC प्रतिनिधि शामिल हैं, जो साफ दिखाता है कि पार्टी PDA की चुनौती का सीधा जवाब देने की कोशिश में है। साध्वी निरंजन ज्योति का नाम तब से जोरों पर चर्चा में है, जब उन्हें हाल ही में बिहार विधायक दल के नेता चयन प्रक्रिया में सह-प्रेक्षक के रूप में पटना भेजा गया।
58 वर्षीय साध्वी, जो फतेहपुर से पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं, OBC (निषाद समुदाय) से ताल्लुक रखती हैं। उनका चयन न सिर्फ महिलाओं को सशक्त बनाने का संदेश देगा, बल्कि हिंदुत्व, OBC प्रतिनिधित्व और महिला सशक्तिकरण को एक साथ जोड़ेगा। खास बात यह है कि BJP ने यूपी इकाई की कमान कभी किसी महिला को नहीं सौंपी है, इसलिए यह ऐतिहासिक कदम होगा। बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं के अभूतपूर्व समर्थन को देखते हुए, यूपी में भी महिलाओं को अपने पाले में लाने के लिए यह फैसला अहम साबित हो सकता है।
साध्वी निरंजन ज्योति का राजनीतिक सफर लंबा और सक्रिय रहा है। 1990 से BJP से जुड़ीं वे 2010-12 तक यूपी BJP की प्रदेश मंत्री रह चुकी हैं। 2014 और 2019 में फतेहपुर से सांसद चुनी गईं, जहां वे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और ग्रामीण विकास मंत्रालयों में राज्य मंत्री रहीं। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में वे सपा के नरेश उत्तर पटेल से 33,199 वोटों से हार गईं, लेकिन पार्टी में उनकी लोकप्रियता बरकरार है। हाल की रिपोर्ट्स में उनका नाम OBC चेहरे के रूप में यूपी BJP अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल है, खासकर निषाद समुदाय से। यह चयन सपा के PDA को चुनौती देगा, क्योंकि BJP महिलाओं और OBCs के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
अन्य संभावित उम्मीदवारों की बात करें तो ब्राह्मण चेहरे के रूप में पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा, असम प्रभारी व बस्ती से पूर्व सांसद हरीश चंद्र श्रीवास्तव, राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी और गोविंद नारायण शुक्ला के नाम आगे हैं। OBC वर्ग से पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह (लोधी), केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा (लोधी) और राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद (निषाद) चर्चा में हैं। अगर दलित चेहरा चुना गया, तो पूर्व सांसद रामशंकर कठेरिया या विधान पार्षद विद्या सागर सोनकर का नाम रेस में है। ये सभी नाम बीते डेढ़ साल से कयासों का केंद्र बने हुए हैं।
जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद पार्टी संगठन को मजबूत करने की कवायद तेज हो गई है। मार्च 2025 में 70 जिलों के अध्यक्षों की लिस्ट जारी की गई थी, जिसमें OBC और ब्राह्मणों का दबदबा दिखा—25 OBC, 19 ब्राह्मण और कुल 44 नए चेहरे। अब नए साल के बाद, यानी जनवरी 2026 के आसपास, राज्य अध्यक्ष की घोषणा होने की संभावना है।
यह फैसला न सिर्फ यूपी की सियासत को नई दिशा देगा, बल्कि 2027 चुनावों में BJP की रणनीति को परिभाषित करेगा। सपा के लिए यह टेंशन बढ़ाने वाला हो सकता है, खासकर अगर महिला-OBC चेहरा चुना गया, तो PDA की नींव हिल सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BJP का यह कदम जातिगत संतुलन बनाए रखते हुए हिंदुत्व एजेंडे को भी मजबूत करेगा।




