द्वाराहाट के नागार्जुन में 68 सालों से लगातार हो रहा इस चीज का आयोजन, रिकॉर्ड में मिला एक अलग स्थान

रिपोर्ट – विमल साह।

द्वाराहाट। द्वाराहाट के नागार्जुन में पिछले 68 वर्षों से लगातार भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जोकि अपने आप में एक रिकार्ड है।अमूमन 10 या 12 वर्षों तक ही भागवत किया जाता है।

द्वाराहाट के नागार्जुन

मगर द्वाराहाट का नागार्जुन छेत्र या नागार्जुन मन्दिर ही अल्मोड़ा जिले में अल्मोड़ा जिला ही क्यों पुरे उत्तराखंड में शायद पहला स्थान है जहाँ पर पिछले 68 वर्षों से भागवत कथा बिना रुके प्रतिवर्ष संपन्न की जा रही है। हमारे संवाददाता विमल साह जब वहां पहुचे और लोगों से इस बारे में जानकारी ली तो बुजुर्गों ने इस मंदिर का माहात्म्य बताते हुवे कहा की इस मंदिर का जिक्र स्कन्द पुराण के मानस खंड में वर्णित है।ये विष्णु भगवन का मंदिर है इस स्थान के बारे में कहा जाता है।

हजारों साल पुर्व इस स्थान पर केवल झाड़ियाँ हुवा करती थी इर् यहाँ पर ग्वाले या चरवाहे अपनी गायों को चराने आते थे।एक बार की घटना कि एक गाय अपना दूध किसान को न देती थी किसान परेशां कि गाय का दूध कहाँ चला जाता है ।तो किसान या चरवाहे ने गाय का पीछा किया तो देखा कि वी गाय अपना दूध झाड़ियों के बीच एक पाथर या पत्थर पर अपना दूध स्वयं से निकाल रही है।

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किसान ने गुस्से से उस पत्थर को कुल्हाड़ी से तोड़कर कई टुकड़ों में विभक्त कर दिया और घर चला आया।शाम को नीद में भगवान विष्णु उसके सपनो में आये और उस स्थान पर मंदिर बनाने को कहा।तो उस किसान ने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया जिसे नागार्जुन के नाम से जाना जाने लगा।तभी से इस मंदिर में किसान अपनी गाय का दूध चढ़ाने आते हैं ।इसी मंदिर में अब लगातार भगवत हो रहा है।साथ ही इस मंदिर के परिसर में एक विशालकाय तुन का वृक्ष है जोकि अल्मोड़ा जिले में दूसरे स्थान पर आता है। इस मन्दिर या इस वृक्ष की विशेषता है कि कई बार इस वृक्ष की टहनियां भगवत कथा के दौरान टूट कर गिरी मगर किसी को कोई नुकसान नहीं होता है।जो भी हो आस्था का महत्व और भगवन के प्रति समर्पण का भाव यहाँ पर देखा जा सकता है।

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