40 करोड़ ग्राहकों के साथ वोडाफोन व आइडिया के बीच विलय वार्ता

40 करोड़नई दिल्ली)| कई महीनों की अटकलों के बाद वोडाफोन ने सोमवार को आदित्य विक्रम बिड़ला समूह की कंपनी आइडिया सेलुलर के साथ विलय पर बातचीत होने की पुष्टि की है। इस विलय के तहत वोडाफोन की भारतीय इकाई और आइडिया सेलुलर का विलय हो जाएगा, जोकि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा सौदा होगा। इस विलय के बाद बनने वाली कंपनी दूरसंचार क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी, जिसके 40 करोड़ से ज्यादा ग्राहक होंगे।

वर्तमान में सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एयरटेल है जिसके 26 करोड़ ग्राहक हैं।

वोडाफोन ने जारी बयान में कहा, “वोडाफोन इस बात की पुष्टि करती है कि आइडिया सेलुलर के साथ उसकी भारतीय इकाई वोडाफोन इंडिया के विलय को लेकर आदित्य बिड़ला समूह से बातचीत चल रही है। हालांकि, इसमें इंडस टॉवर्स में वोडाफोन की 42 फीसदी हिस्सेदारी और आइडिया शामिल नहीं हैं।”

बयान के मुताबिक, “आइडिया से वोडाफोन तक नए शेयरों के जारी होने से विलय प्रभावी होगा और इससे वोडाफोन से वोडाफोन इंडिया अलग हो जाएगी।”

वहीं, इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करते हुए आइडिया सेलुलर ने कहा कि वोडाफोन के साथ प्राथमिक दौर की बातचीत जारी है।

आइडिया सेलुलर ने दाखिल नियामकीय रपट में कहा, “तथ्य यह है कि बातचीत अभी प्रारंभिक दौर में है, इसलिए अधिक जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि यह बताना जरूरी होगा कि प्रारंभिक बातचीत में इस पर चर्चा हो रही है कि नई कंपनी पर आदित्य बिड़ला समूह और वोडाफोन के बराबर अधिकार हों।”

वोडोफोन इंडिया के 20 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता हैं और इसकी देश के सभी 22 सर्किल में उपस्थिति है। चालू वित्त वर्ष के अंत तक कंपनी का इरादा 17 सर्किल के 2,400 शहरों में 4जी सेवाएं शुरू करने का है।

वहीं, दूसरी तरफ आइडिया का कहना है कि उसके भी लगभग इतने ही ग्राहक हैं और इसकी भी देश के 22 सर्किल में उपस्थिति है। कंपनी का इरादा चालू वित्त वर्ष के अंत तक 20 सर्किल में 4जी सेवाएं शुरू करने का है।

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने बताया, “दूरसंचार क्षेत्र में वित्तीय दबाव और गतिशीलता को देखते हुए वित्तीय समेकन जरूरी है। यह उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों के लिए अच्छा है।”

मैथ्यूज ने कहा कि विलय के बाद बनी कंपनी के पास बाजार की 43 फीसदी राजस्व हिस्सेदारी होगी।

टेलेकॉम कंस्लटेंसी फर्म कॉम फस्र्ट के निदेशक महेश उप्पल ने बताया, “यह विलय समेकन के प्रति रुझान की पुष्टि करता है। यह दिखाता है कि जियो से कंपनियों को तगड़ी चुनौती मिल रही है। विलय से कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी।”

उन्होंने कहा, “आगे चलकर इस क्षेत्र में केवल चार खिलाड़ी रह जाएंगे, जिससे धीरे-धीरे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कम होगी। यह अल्पावधि में उपभोक्ताओं के हित में नहीं हो सकता है, लेकिन ऐसे समेकन मध्यम अवधि में उद्योग को स्थिर करने में मददगार होंगे।”

गार्टनर के शोध निदेशक अमरीश नंदन का कहना है कि वोडाफोन इंडिया और आइडिया दोनों को अपनी दीर्घकालिक व्यापारिक रणनीति को तय करना होगा और इसके लिए विलय रास्ता हो सकता है।

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का कहना है, “हमारी हाल की टिप्पणी के मुताबिक हमारा मानना है कि आइडिया और वोडाफोन का संभावित विलय रणनीतिक विवेक पर आधारित है। हालांकि इस विलय से बनने वाली कंपनी को व्यावहारिक कार्यान्वयन के मुद्दों का सामना करना होगा। इसमें सबसे प्रमुख स्पेक्ट्रम को छोड़ने की कीमत होगी। संयुक्त उपक्रम में 5 सर्किल्स में स्पेक्ट्रम निर्धारित सीमा से ज्यादा हो जाएगी, जिसका बाजार मूल्य 75 अरब रुपये होगा।”

उद्योग जगत में दोनों कंपनियों के बीच पिछले एक साल से विलय की अटकलें चलती रही हैं और इसे रिलायंस जियो के दूरसंचार क्षेत्र में उतरने और अपने नेटवर्क पर आजीवन वॉयस सुविधाएं मुफ्त देने जैसे ऑफर्स से और बल मिला है।

विलय वार्ता के बारे में औपचारिक रुख सामने आने के बाद आइडिया सेल्युलर के शेयर के दाम में करीब 26 फीसदी का उछाल देखने को मिला।

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