SC का फैसला, 2011 दारोगा भर्ती की तत्काल पूरी हो नियुक्ति

दारोगा नियुक्तिनई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में दारोगा नियुक्ति की राह देख रहे साढ़े तीन हजार दारोगाओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रदेश सरकार से कहा कि वह दस दिन में इन दारोगाओं को ट्रेनिंग पर भेजकर ट्रेनिंग पूरी कराए और फिर उनकी नियुक्तियां करे। यह मामला 2011 का दारोगा व प्लाटून कमांडरों की भर्ती का है।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति आर भानुमती की पीठ ने याचिकाकर्ता दारोगाओं की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिये। इसके अलावा पीठ ने इस मामले से संबंधित हाई कोर्ट में लंबित सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर ली हैं।

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मामला 2011 की भर्ती का है। कुल 4,010 पद थे। मौजूदा मामला 3,533 नियुक्तियों का था जिसमें से 315 प्लाटून कमांडर थे और बाकी के सब इंस्पेक्टर थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 24 अगस्त 2016 को चयन सूची रद कर दी थी। जिसके खिलाफ उम्मीदवार हाईकोर्ट की खंडपीठ गए, खंडपीठ ने भी गत छह अप्रैल को चयन सूची रद करने के आदेश पर मुहर लगा दी और मुख्य परीक्षा के बाद की प्रक्रिया नए सिरे से करने को कहा। याचिकाकर्ताओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस बीच दो नवंबर 2015 को चयनित उम्मीदवारों की ट्रेनिंग शुरू हो गई लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद 27 नवंबर 2016 को ट्रेनिंग रोक दी गई।

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दारोगा भर्ती प्रशिक्षुओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खुशी की लहर है। ट्रेनिंग करने के बाद ज्वाइनिंग न कराए जाने की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद इनको नौकरी नहीं दी गई। कोई नौकरी छोड़ कर दारोगा बनने आया था तो किसी का सपना दारोगा बनने का था। नौकरी को लेकर लक्ष्मण मेला मैदान में काफी समय तक धरना दिया। कई बार आला अधिकारियों से वार्ता की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिर में सर्वोच्च न्यायालय ने इन सैकड़ों प्रशिक्षुओं की भर्ती पर मुहर लगा दी।

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