नमामि गंगे की तर्ज पर यमुना को साफ करेगी रावत सरकार

नमामि गंगे देहरादून उत्तराखंड से होकर निकलने वाली राष्ट्रीय गंगा की सबसे बड़ी सहायक यमुना नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए मसौदा तैयार कर लिया गया है। नमामि गंगे की तर्ज पर यह कार्यक्रम उद्गम स्थल कालिंदी पर्वत से सहारनपुर की सीमा तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर खास फोकस किया जायेगा।

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) को ये सभी प्लान विभिन्न विभागों की ओर से मुहैया कराए गए, जिसे मसौदा तैयार करने को नोडल बनाया गया है। नोडल अधिकारी एवं पीसीबी के सदस्य सचिव विनोद सिंघल के मुताबिक मसौदा एक-दो दिन में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेज दिया जाएगा।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा की भांति यमुना नदी को भी प्रदूषणमुक्त करने के मद्देनजर उत्तराखंड समेत उन सभी राज्यों को मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए थे, जहां से यमुना गुजरती है। इसे लेकर यमुना के उद्गम स्थल उत्तराखंड में भी कसरत प्रारंभ हुई। सोमवार को मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में संबंधित सभी विभागों को अपने-अपने प्लान मुहैया कराने को कहा गया। इनके आधार पर मसौदा तैयार करने के लिए पीसीबी के सदस्य सचिव को नोडल अधिकारी बनाया गया। मसौदे के बारे में चार सितंबर तक एनजीटी को बाकायदा जानकारी दी जानी है।

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नोडल अधिकारी एवं पीसीबी के सदस्य सचिव विनोद सिंघल ने बताया कि वन, पेयजल, शहरी विकास, जलविद्युत निगम समेत अन्य विभागों की ओर से मिले प्लान के आधार पर मसौदा लगभग तैयार हो गया है। यह नमामि गंगे परियोजना की तर्ज पर तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में यमुना के पानी की गुणवत्ता उत्तम क्वालिटी की है, लेकिन यह किसी तरह दूषित न होने पाए इस पर मसौदे में फोकस किया गया है।

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